शुक्रिया डॉक्टर साहब
आर.पी. सिंह-
रायपुर। हमारे समाज में चिकित्सकों को दूसरा भगवान कहा जाता है। जब हमें कोई बीमारी घेरती है अथवा जब भी कोई किसी हादसे का शिकार होता है, तो लोग उसे लेकर जिसके पास दौड़ते हैं, वो होता है कोई न कोई अच्छा डॉक्टर। कहते हैं कि एक अच्छा डॉक्टर अपने शालीन व्यवहार से ही मरीज का आधा कष्ट दूर कर देता है। बाकी का काम दवाएं करती हैं।
क्यों मनाते हैं-
हम किसी गंभीर बीमारी या दुर्घटना से अगर बच जाते हैं तो सबसे पहले अपने भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं, मगर जो डॉक्टर हमें गंभीर बीमारियों के दलदल के निकालता है उसका भी शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए। इसी बात को लेकर 1 जुलाई को पश्चिम बंगाल के नामी चिकित्सक डॉ. विधान चंद्र राय के जन्म और पुण्य तिथि को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है।
कौन थे डॉ. राय-
1 जुलाई 1882 को पटना में जन्मे डॉ बिधान चन्द्र रॉय कलकत्ता में पले बढे और पढ़े लिखे। कलकत्ता मेडिकल कॉलिज से एमबीबी एस करने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए 1909 में इंग्लैंड गए, लेकिन वहां उनके आवेदन पत्र को खारिज कर दिया गया । इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार 30 बार आवेदन भरा , अंत में हार कर उन्हें दाखिला दे दिया गया । भारत आकर उन्होंने सरकारी नौकरी की और तमाम अस्पतालों की स्थापना की। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री भी बने और अंत तक रहे। 1 जुलाई 1962 को उनका देहावसान हो गया।
सेवा के बदलते मायने-
बदलते समय के साथ चिकित्सा विज्ञान में बड़े क्रांतिकारी परिवर्तन हुए और साथ ही बदलता गया हमारा चिकित्सा का तरीका और चिकित्सकों का आचार-विचार भी। आलम ये है कि अब चिकित्सा सेवा कम व्यवसाय ज्यादा बनती जा रही है। कहीं न कहीं इसके लिए बाजार की गलाकाट प्रतिस्पर्धा ही जरूरी है।
जरूर करें शुक्रिया अदा -
शहर से लेकर गांवों तक आज भी कुछ ऐसे डॉक्टर ऐसे मिल जाएंगे जिनको वास्तव में झुक कर सलाम करने का मन करता है। उनके लिए आज भी चिकित्सा पेशे से कहीं ज्यादा सेवा है और वो उसी लगन और मेहनत के साथ इसको किए जा रहे हैं। ऐसे डॉक्टर्स की लंबी फेरहिस्त है जो इसको मिशन बनाकर आज भी डटे हुए हैं। दिन हो या रात आंधी हो या तूफान, हर विपरीत परिस्थितियों में भी बिना किसी रुकावट के अपने काम को सफलता पूर्वक अंजाम दिए जा रहे हैं।
तो हमारा भी फर्ज़ बनता है कि ऐसे जो भी चिकित्सक हमारे आसपास सेवा कार्य में लगे हों। और आपको लगता हो कि इन्होंने मानवता के लिए उत्तम कार्य किया है तो उनको खुले मन से आज कम से कम इतना तो जरूर कह दें कि शुक्रिया डॉक्टर साहब...!
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