ऐसे मानवाधिकार पर धिक्कार


नक्सलियों ने जबरन लगाई जनअदालत में जिस निर्दोष सदाराम की पीटने के बाद गला रेतकर हत्या की। उसके बाद कोई भी मानवाधिकारवादी कुछ नहीं बोला, मगर जैसे ही पुलिस बल के जवान बीस नक्सलियों को मार गिराते हैं तो इन निकम्मों के पेट में दर्द पैदा हो जाता है। चले आते हैं थोबड़ा उठाए....वास्तव में खेत, खलिहार, किसान, जवान और इंसान के सबसे बड़े दुश्मन हैं। ऐसे गद्दारों पर सरकार को विधि सम्मत कार्रवाई तत्काल करनी चाहिए।

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