पत्रकारों के अपमान और सम्मान पर आर.पी सिंह की दो टूक-
विधान सभा में 39 सीटें जीतने पर पत्रकारों पर पैसे लेने का आरोप लगाने वाला भी कांग्रेसी और लोकसभा में एक सीट जीतने पर पत्रकारों को सम्मानित करने वाला भी कांग्रेसी? कोई मुझ अकिंचन को समझाए कि आख़िर मज़रा क्या है? ये बाँटने, डाँटने, फिर चूमने चाटने और किसी दिल्ली के बड़े नेता के आते ही काटने और अपना मतलब निकालने के लिए उसी पत्रकारिता को घोंटने-घांटने के पीछे का गणित क्या है? अगर पत्रकार चोर हैं तो उन चोरों का नाम बेखौफ़ वो प्रवक्ता क्यों नहीं बताता, उनको कांग्रेस भवन में घुसने पर रोक क्यों नहीं लगाया? आख़िर ग़लत कौन है वो प्रवक्ता या फिर प्रदेश कांग्रेस के वो कद्दावर नेता जिन्होने प्रेस क्लब में पत्रकारों को संम्मानित किया
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