दो लफ्ज़ दोस्तों से.......

जो लोग पत्रकारों को सत्ता के गलियारों का गायक समझते हैं, शायद पहली बार उनको छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने आईना दिखाया है!इसकी पीड़ा वो अधिकारी भोग रहे होंगे जिनको मधुकर खेर पत्रकारिता सम्मान के लिए अब पत्रकार ढूँढने पड़ रहे हैं! इससे सत्ता सेवकों की समझ में एक बात तो आ जानी चाहिए की पत्रकार मतलब खुद्दार होता है चाटुकार नहीं......शाबास मेरे भाइयों हमें आप पर नाज़ है! इसी लिए मैं अक्सर कहा करता हूँ कि- बन्जारे हैं रिश्तों की तिज़ारत नहीं करते, हम लोग दिखावे की मोहब्बत नहीं करते! चाहत है गर मुझसे तो फिर आ जीत ले हमको, हम लोग कबीलों से बग़ावत नहीं करते!!..... तहेदिल से अपने दोस्तों को दुआएँ!!!!

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव