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Showing posts from September, 2009

कृषि प्रधान देश (व्यंग्य )

उनके सब्र की उस दिन फूट गयी गगरी , जब दो रोटी की खातिर , बिकी बेचारी डंगरी , ब्याज की एवज में जवान बेटी को ले गया साहूकार ! तब किसी को नहीं सुनाई दी ममता की सिसकियाँ , मानवता का चीत्कार !दवावों के अभाव में माँ को आ रही खांसी ! कर्ज में डूबे बाप ने जवान बेटों के साथ लागाली फांसी ! जानवरों को उठा ले कसाई ! घर छोड़कर भाग गया छोटा भाई !! कमर झुकाए सत्तर साल की दादी ! अदालत के चक्कर लगा रही है बनकर फरियादी ! मैले टुकड़े में बंधी सुखी रोटियाँ और एक छोर पर बंधा कुछ पैसा ! घर में बंचा एक अदद भैंसा !! उस बूढी इतवारी बाई को वकील फटकारता है पेशकार गुर्राता है ! कोर्ट का चपरासी भी पचास रुपये के लिए मुंह बनाता है ! सत्तर सालों से चल रहा मुकदमा आज फिर हुआ पेश है ! और सात हजार किसानो की आत्महत्या के बाद प्रधानमंत्री जी पत्रकारवार्ता में कहते हैं की भारत एक कृषि प्रधान देश है! कृषि प्रधान देश है !!

हज़ल

वो फिर से हमें आजमाने लगी हैं ! पुरानी ग़ज़ल गुनगुनाने लगी हैं !! कमर पकडे मेरी चहकती थी हरदम ! वही देखिये भुनभुनाने लगी हैं !! होटल के खाने की लालच में देखो ! वो तावे पे रोटी जलने लगी हैं !! उन्हें देखकर दिल उछलता था बांसों ! मगर खोपडी सनसनाने लगी हैं !! जो कोयल से कानों में रस घोलती थी ! दुनाली सी अब दनदनाने लगी हैं !! "कपूत " इस मोहब्बत से कर डालो तौबा ! वो गाडी सी अब हनहनाने लगी हैं !!

एक चौका कपूत का

वो सन चालीस का माडल भी मेकप में हूर बन बैठी ! वो काज़ल से बदलकर किस तरह सिन्दूर बन बैठी !! अजब चक्कर है इन सौंदर्या की चमकी दुकानों का ! कि नौ बच्चों की अम्मा करिश्मा कपूर बन बैठी !!

ग़ज़ल

लबों पे सिसकी हाथ उसका भर आया होगा ! उसने जब -जब कोई मक्कार बनाया होगा !! सूखती जा रही सेहत क्यों गंगा मैया की ! गन्दगी तुमने जरुर इसमें बहाया होगा !! दोस्त के कत्ल का इल्जाम बहन के सर पर ! उसने रिश्ते पे कोई दाग लगाया होगा !! बुलबुलें बदहवास उड़ रही हैं गुलशन में ! जरुर फिर कोई सैयाद इधर आया होगा !! जब भी मातम हमारे घर में मना होगा "कपूत" ! नाम भाई का मेरे सामने आया होगा !! अपनी बात * एक सड़क दुर्घटना में दाहिना पैर खोने के बाद भी आज आप के सामने हूँ ! यह शायद आपकी दुआओं का असर है !इस लिए पहली ग़ज़ल आपकी पेशेनज़र है ! आप ही बताएं गे की ऐ कैसी है !! आपकी राय जरुरी है इस गरीब रचनाकार के लिए धन्यवाद * सदर कपूत