ग़ज़ल

लबों पे सिसकी हाथ उसका भर आया होगा !
उसने जब -जब कोई मक्कार बनाया होगा !!
सूखती जा रही सेहत क्यों गंगा मैया की !
गन्दगी तुमने जरुर इसमें बहाया होगा !!
दोस्त के कत्ल का इल्जाम बहन के सर पर !
उसने रिश्ते पे कोई दाग लगाया होगा !!
बुलबुलें बदहवास उड़ रही हैं गुलशन में !
जरुर फिर कोई सैयाद इधर आया होगा !!
जब भी मातम हमारे घर में मना होगा "कपूत" !
नाम भाई का मेरे सामने आया होगा !!
अपनी बात *
एक सड़क दुर्घटना में दाहिना पैर खोने के बाद भी आज आप के सामने हूँ ! यह शायद आपकी दुआओं का असर है !इस लिए पहली ग़ज़ल आपकी पेशेनज़र है ! आप ही बताएं गे की ऐ कैसी है !! आपकी राय जरुरी है इस गरीब रचनाकार के लिए धन्यवाद * सदर कपूत

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव