एक नया बहाना
आजकल मीडिया में एक नया बहाना चलन में आ गया है। यहाँ आपके शारीरिक सौन्दर्य को आपकी योग्यता माना जा रहा है। यानि बढ़िया लिखने से ज्यादा जरूरी हो गया है कि बढ़िया दिखने वाला हो। लेखन को दूसरा दर्जा दिया जा रहा है। सवाल तो ये है की क्या ये मान लिया जाये कि अब मीडिया से बढ़िया लिखनेवालों की विदाई होनेवाली है? और उनका स्थान शारीरिक सुन्दरता लेगी? अखबार के लिए क्या जरूरी है शाब्दिक सौन्दर्य या फिर शारीरिक सौंदर्य ?