इसे ही कहते हैं तकदीर का तमाशा

इसे ही कहते हैं तकदीर का तमाशा, देश की सबसे शक्तिशाली महिला अपने सहयोगियों के साथ चिंतन शिविर में चिंता करने में मगन हैं। तो उसी शिविर से कुछ ही दूरी पर जयपुर की दामिनी कराह रही है? क्या चिंतन शिविर से कुछ समय निकाल कर उसका हाल-चाल नहीं जाना जा सकता है? ये ही हमारे वैचारिक बौनेपन और आचरण के दोगलेपन की इन्तेहा है।,कि कहते हम कुछ और हैं और करते कुछ और। युवों के आइकोन बनाने का दावा करने वाले उस युवराज से देश का युवा ये नहीं जानना चाहेगा कि एक दामिनी को तो आपकी सरकार ने थाईलैंड भेजकर अपनी पीठ -थपथापा ली मगर दूसरी लड़की की बात आते ही आपकी दरियादिली कहाँ काफूर हो गई? कुल मिलकर इनको न तो देश की चिंता है और न ही देश की जनता की- इनका ये एक अदद कुर्सी अभियान है जिसकी खानापूरी की जा रही है। इसमें चापलूसी अपने चरम पर है। हर कोई राहुल और सोनिया गांधी को मक्खन लगाने की फ़िराक में है ताकि उसका टिकट पक्का हो जाए छिः -छिः -छिः -छिः .

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