जिन्‍दगी को बारूदी ढेर पर और पेइंग गेस्‍ट


हास्‍य, कवि सम्‍मेलन, तात्‍कालिक कवि सम्‍मेलन एक कवि एक श्रोता आयुष (?)

दिल के बहुत करीब निगाहों से दूर है
इस दुनिया में भी एक और दुनिया जरूर है

इसी दुनिया की सैर करने के लिये आज चलते हैं जहां आप होंगे हम होंगे और होंगी सिर्फ कवितायें ।
कविता क्‍या है ? पंडित छविनाथ मिश्र कहते हैं - कविता पत्‍थर तोड़ की मेहनत को हाथ का छाला बना देती है और उस छाले में कसकती पीड़ा की अनुभूती को निराला बना देती है ।
और, कोई कवि और कहता है कि
मेरे दोस्‍त मेरे हमदम तुम्‍हारी कसम कविता जब किसी के पक्ष में अथवा विपक्ष में लब अपनी पूरी अस्मिता के साथ खड़ी होती है तो वो कविता भगवान से भी बड़ी होती है और ऐसी कविता जिसके लिये लाने जाते रहे हैं आपको जोड़ते हैं कविता से

जिन्‍दगी को बारूदी ढेर पर

मैने देखा है जिन्‍दगी को
बारूदी ढेर पर मुस्‍कुराते हूये
और आशाओं को
नीरव श्‍मशान में
करूण गीत गाते हुये

मैने देखा है
भौतिकतावादी लोंगो का अहम
धन के बूते जिन्‍दगी जीने का अहम
मगर एक भी धनी
जिन्‍दगी खरीद कर नही लाया

मगर एक भी धनी जिन्‍दगी खरीद कर नही लाया

प्‍लास्टिक सर्जरी के बदले
प्‍लास्टिक सर्जरी से बदलकर बनवा ली काया
और समझने लगे खुद को तीस मारखाँ
मैने देखा है इन तीसमारखाँ पर पड़ते हुये समय का थपेड़ा और गर्त को देखने का बेड़ा ।


पेइंग गेस्‍ट
एक और कविता से सीधे आपको जोड़ता हूं
व्‍यंग जिसका शीर्षक पेइंग गेस्‍ट, बड़ी ही प्रसिध्‍द कविता रही जिसके लिये जाना जाता रहा हूं

मंत्री जी नेताजी चुनाव में बू‍थ कैप्‍चरिंग करा कर जैसे ही विजय श्री पाये
तो मंत्री पद पाते ही दलबल सहित दर्शनार्थ बजरंगबली के मंदिर में आये
दलबल सहित दर्शनार्थ बजरंगबली के मंदिर में आये
पुजारियों ने मिथ्‍या प्रशंषा कर दिया उनके सम्‍मान को बढ़ावा
और मंत्रीजी ने घोटाले में पहली बार कमाई गई गड्डि‍यों का चड़ाया चड़ावा
ओर आंख बंद कर जैसे ही हुये प्रार्थना में लीन पीछे से पीठ पर पड़े लात तीन
सामने बजरंग बली की प्रतिमा से टकराये चीनी के बोरे की तरह लुड़कते लुड़कते वापस आये
चीनी के बोरे की तरह लुड़कते लुड़कते वापस आये
हाथ जोड़कर चिल्‍लाये माई बाप
पीछे से किसी अदृश्‍य की चुप बे सांप
मेरी भी अच्‍छी भली छवि को धब्‍बा लगा रहा है
अरे मुझ अखंड ब्रम्‍हचारी को अपना बाप बता रहा है
मुझ अखंड ब्रम्‍हचारी को अपना बाप बता रहा है
सुनते ही मंत्रीजी चिल्‍लाये सरकार पुन: चरण प्रहार आवाज आई इतना मोटा चड़ावा और घटिया संबोधन
अरे वाह रे इस लाचार हस्तिनापुर के दुर्योधन
इतना मोटा चड़ावा और घटिया संबोधन
अरे वाह रे इस लाचार हस्तिनापुर के दुर्योधन
सुनते ही मंत्रीजी ने लगाया बजरंग बली का जयकारा तब तक पीछे से किसी ने ऐसा लात मारा कि बिखर गया सारा ताम झाम
मंत्रीजी ने सोचा कौन होगा आवाज आई हम हैं श्री राम
जब से तुमने हमारा वो विवादित ढांचा गिराया
सुनते ही मंत्रीजी चकरा गये भगवान श्रीराम और राम भक्‍त हनुमान दोनो सामने आ गये
मैने देखा दोनो हिचकियो लेकर रो रहे थे
अपना चेहरा आंसुओं से भीगो रहे थे
अचानक रामचन्‍द्र जी की मुट्ठ‍ियां भिंच गई
आंखे आग के शोले की तरह दहकने लगी
धनुष की डोरी खिंच गई
चेहरे पर क्रोध की लालिमा छाई
और बोले चल फूट अपनी ये उठाकर पाप की कमाई
जब से तुमने हमारा वो विवादित ढांचा गिराया
निर्दोषों की गरदन पर तलवारें फिराया
तबसे हम दारूण दु:ख सह रहें हैं
इस बेचारे हनुमान के घर में पेइंग गेस्‍ट बन कर रह रहें हैं

अचानक रामचन्‍द्र जी की मुट्ठ‍ियां भिंच गई
आंखे आग के शोले की तरह दहकने लगी
धनुष की डोरी खिंच गई
चेहरे पर क्रोध की लालिमा छाई
बोले चल फूट उठाकर अपनी ये कमाई
दुबारा कभी यहां मत आना और ये हराम का कमाया हमें मत चढ़ाना

अरे तुम लोग तो कैसी कैसी घटिया हरकतें करके बैठाते हो अपनी गोटियां
हमारा तो जलता है लहू कटती हैं बोटियां
तुम्‍हारी ही आढ़ लेकर खूनी गुडें डकैत और माफिया सोते हैं
तुम संसद में हंसते हो हम मंदिरों में रोते हैं
तुम संसद में हंसते हो हम मंदिरों में रोते हैं

अब तू यहां से भाग
चाहे दिल्‍ली जा या गड़बेता जा
पर इतना संदेश इतनी सीख
जरूर लेता जा
कि जैसे चौदह साल सहा था
वैसे इतना और सह लेंगे
अगर मेरे ये चारो बेटे
हिन्‍दु मुस्लिम सिख ईसाई खुशहाल रहे
तो हम हनुमान तो क्‍या रावण के भी घर में पेइंग गेस्‍ट बन कर रह लेंगे।

Comments

Unknown said…
singh saahab...aapka blog tatha aapke dwara prakashit rachnayein dekhin...wakai aapki story aam vishyon se alag hain...aapka prayaas sarahniy tatha kabil-e-taarif hai...

kabhi mere blog par bhi aayein...aapka swagat hai...
rajsamvaad.blogspot.com "Baazarwad aur Samvaad"

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