पुलिस और पत्रकारों के महामिलन पर एक खूसट की खुन्नस


पत्रकार अपनी लाइन से हटते जा रहे हैं मगर पुलिस वाले अपनी अकड़ नहीं छोडते! अभी-अभी बीते  दिनों छत्तीसगढहुए  एलेकशन की बात है किसी मंत्री की शह पर मीडिया की गाड़ी में जबरिया दारू रखी जाती है और उनको फँसाया जाता है!मंत्री का रसूख थाने के मुलाज़िमों पर इस कदर हावी था की बेचारे पत्रकारों को हाईकोर्ट से जमानत करवानी पड़ी! उन्हीं की दूसरी करतूत ये भी है कि एक मंत्री की खरीदी सैकड़ों एलेकट्रानिक वोटिंग मशीनें एक खेत में मिलती हैं और वही पुलिस और पार्टी वाले 15 दिनों तक जाँच के नाम पर मामला लटकते रहे और बाद में अग्यात लोगों पर मामला दर्ज़ कर मंत्री जी को निर्दोष करार दे दिया जाता है सवाल ये है की कैसे ? अब अगर इसके बाद भी पत्रकार दाँत निपोरते हैं तो उनके ग्यान और उनकी सहनशीलता  को प्रणाम!!!!!!!! शायद यहाँ वरिष्ठता इसी को मानते हैं!!!!!!!!!!!

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