लोकतंत्र की नई परिभाषा
जहां लोक की कमाई खाकर तंत्र उसको लतियाता और लाठियाता हो, अधिकार माँगने पर आँखें दिखाता हो, जनता के खजाने को अपनी बपौती बताता हो। शोषण और दोषारोपण, दलाली और भ्रष्टाचार हो जिसका मूलमंत्र उसको ही भारत में कहते हैं लोकतंत्र ।