सरकार की कार में बेकार
देश में बढ़ रहे लगातार बलात्कार और काम की बजाय बहस करने में लगी सरकार,
पस्त पुलिस और क़ानून लाचार, किताबों में दबा सिसकता सदाचार, बुद्धिजीवियों
में मचा हाहाकार, विदेशों में हो रहा भारत शर्मसार। अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी
इससे दोहरी मार। दो टूक बात तो ये है कि जिनको जनता ने पहनाया हार वे लेने लग गए आहार और सच
में समस्याओं से गए हैं हार। लगता है सरकार की कार में बेकार के लोग जाकर
बैठे हैं जो अपनी झूठी शान पर ऐंठे हैं। अब या तो सर को सम्मान से ऊंचा
उठाने लायक काम करें या फिर कार और सरकार दोनों ही छोड़ें तभी देश का कल्याण
होगा। इतना ही नहीं होगा काफी दुनिया भर की माताओं और बहनों व बेटियों से मांगना होगा माफी। जय हिन्द
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