एक कता

गोंद में बैठ ऊधम मचाते रहे,
भाई -भाई के जिनसे ही नाते रहे ।
सूई उनको लगी चीखता मैं रहा ,
मेरी गर्दन कटी मुस्कुराते रहे ॥

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