झोलाछाप कौन ?

सरकारी मान्यता लेकर लोगों का गला काटना कहाँ की भलमनसाहत है ? अपनी दुकानदारी चलाने के लिए दूसरों को बदनाम करना कहाँ तक ठीक है. इंडियन मेडिकल काउन्सिल से प्रमाणित चिकित्सक क्या गलती नहीं करते ? जो शिक्षित बेरोजगार कहीं से किसी डॉक्टर के यहाँ से कुछ दवाएं सीख कर गाँवों में चिकित्सा कार्य कर रही हैं . उनको झोलाछाप कहकर मानसिक रूप से परतादित करना कहाँ की मानसिकता है. क्यों नहीं बड़े-बड़े स्पेसलिस्ट शहरों की चकाचौंध छोड़कर गावों में जाकर गरीब जनता की सेवा करते? अगर वे ऐसा नहीं कर पा रही और कोई दूसरा कर रहा है तो उसको झोलाछाप कहकर उसकी हंसी उड़ाने वाले  शायद यह नहीं जानते की dhanwantari पहले झोला chhap the . usake बाद charak , और शुश्रुत व बाद में चलाकर हनिमान भी उन्ही की श्रेणी में aaye. इनको किसी भी तथाकथित मेडिकल काउन्सिल ने प्रमाणपत्र नहीं दिया था.सिक्षा केवल मेडिकल कालेज में नहीं मिलाती. अगर आदमी के अन्दर लगन हो तो किताबों के माध्यम से अच्छा ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है. और ज्ञान किसी की बपौती नहीं है. जो लोग ग्रामीण डॉक्टरों को झोलाछाप कहते हैं या तो उनका ज्ञान कमजोर है. नहीं तो जलन वश ऐसा काम कर रहे हैं. अगर यही झोलाछाप नहीं होते तो न जाने कितने लोग बिना इलाज़ के मर जाते.

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