गुरूघंटाल


देखो स्वप्न सजी पलंगों के  बैठे टूटे खटोले में।
ऐसे माहिर मजे हुए हैं ये कुछ लोग बतोले में।।
             गुरू-गुरू कहते उसकी तुमड़ी में किया सुराख़ गजब।
              ऐसे गुरुघंटाल  हैं  शागिर्दों के चोले में।।
ये कुछ गुड्डे बीच अखाड़े पटका -पटकी खेल रहे।
जाकर हाथ मिलायेंगे सब भानुमती के झोले में।।
              क्या होगा आखिर" कपूत जी" चोर-चोर चिल्लाने से।
               जब दुल्हन के संग चोर ही बैठा हुआ हिंडोले में।।

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