सरकार का आइडिया ?
पहले सरकार उद्द्योगपतियों का जमीन देने का विरोध करती है. फिर डीजल,पेट्रोल और रासायनिक खादों व बीजों के
दाम बढाती है।इसके बाद हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री जी और वित्त
मंत्री जी कागजों पर फर्जी आंकड़ों के घोड़े दौडाते हैं . किसानों की
आत्महत्याओं में आज भी कोई कमीं नहीं आई है. इसका कारण है की एक एकड़ गेहूं
की खेती में लगभग अट्ठारह हजार की लगत आती है और उसमें बामुश्किलन पंद्रह
क्विंटल गेहूं पैदा होता है. जिसकी बाजार में कुल कीमत पंद्रह हजार रुपये
होती है यह भाव यूपी के बाजारों का है. अब कोई विद्द्वान अर्थशास्त्री
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से ये पूंछेगा की सरकार ऐसा क्यों कर रही है?
आइये हम बताते हैं सरकार की मंशा उद्द्यागों को बढ़ने की है, ऐसे में यही
एकमात्र रास्ता बचता है जिसके माध्यम से कृषी भूमि उद्द्योगपतियों को आसानी
से दी जा सकती है. क्योंकि किसान जब खेती से ऊबेगा तभी तो जमीन बेंचेगा?
क्यों कैसा है येपहले सरकार उद्द्योगपतियों का जमीन देने का विरोध करती है. फिर डीजल,पेट्रोल और रासायनिक खादों व बीजों के
दाम बढाती है।इसके बाद हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री जी और वित्त
मंत्री जी कागजों पर फर्जी आंकड़ों के घोड़े दौडाते हैं . किसानों की
आत्महत्याओं में आज भी कोई कमीं नहीं आई है. इसका कारण है की एक एकड़ गेहूं
की खेती में लगभग अट्ठारह हजार की लगत आती है और उसमें बामुश्किलन पंद्रह
क्विंटल गेहूं पैदा होता है. जिसकी बाजार में कुल कीमत पंद्रह हजार रुपये
होती है यह भाव यूपी के बाजारों का है. अब कोई विद्द्वान अर्थशास्त्री
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से ये पूंछेगा की सरकार ऐसा क्यों कर रही है?
आइये हम बताते हैं सरकार की मंशा उद्द्यागों को बढ़ने की है, ऐसे में यही
एकमात्र रास्ता बचता है जिसके माध्यम से कृषी भूमि उद्द्योगपतियों को आसानी
से दी जा सकती है. क्योंकि किसान जब खेती से ऊबेगा तभी तो जमीन बेंचेगा?
क्यों कैसा है ये सरकार का आइडिया ?
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