आखिर क्यों ?

आखिर क्यों ?
कोई उनपर कार्यवाही क्यों नहीं करता जो देश के खजाने से पैसा तो जमकर लेते हैं मगर काम कौड़ियों का भी नहीं करते. इसकी शिकायत करने पर दो चार तर्क ठोंक देते हैं . क्या ऐसे लोग देश के दुश्मन नहीं हैं? जो लोग अपनी जेबें भरने के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं और उसको पैसे देकर खरीद कर खाने वाले की जान चली जाती है तो क्या ये हत्या नहीं है? अगर है तो उसपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता. उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता जो देश के लाखों किसानों की आत्महत्या के जिम्मेदार हैं? आखिर क्यों कोई उनपर कार्यवाही नहीं करता जो पूरा वेतन लेने का बाद भी किसी गरीब की जेब पर नज़र रखते है। आखिर क्यों इनको सजा देने के नाम पर क़ानून के हाथ कांपते हैं .

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