एक कड़वा सच
ये सच है कि जिसका जन्म गलत होता है उसके कर्म भी गलत ही होते हैं। देश की
आजादी के लिए बनी कांग्रेस को नेहरू जी ने जबरदस्ती गांधी जी के कहने के
बावजूद भी ज़िंदा रखा। आजादी के सम्बन्ध में सरदार दिलीप सिंह बरार जी ने
मुझसे एक बार बताया था की देश की आजादी का सच क्या था? इनको उस शर्त पर
आजादी दी गई थी की तुम मुझे नेता जी सुभाष चन्द्र बोसे दो मैं तुम्हें
आजादी दूंगा।और इन लोगों ने वो समझौता भी किया था । चीन ने आठ हजार
किलोमीटर हमारी जमीन हथिया ली कोई कुछ नहीं बोलता, क्योंकि वहाँ से एक पैसा
भी मिलनेवाला नहीं है। अंग्रेजों ने इनको नेताजी की एवज में आजादी दी थी।
और इन लोगों ने उसको डॉलर्स के लिए बेंच दी। आखिर बिना काम किये पैसा कब तक
मिलेगा? देश की सबसे बड़ी संस्था में गंवारों से भी बदतर अंदाज में
चिल्लाने वाले खुद को उच्च शिक्षित बताते हैं इनके पास रंगीन कागज़ तो हो
सकते हैं मगर ज्ञान और अनुभव नाम की चीज नहीं है। लाख टके का सवाल ये है की क्या ये देश के साथ गद्दारी नहीं है?
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