बस्तर में जन्मा पहला टेस्ट ट्यूब बेबी
नए साल के पहले ही दिन जिला अस्पताल में एक प्रसूता और नवजात को नई जिंदगी मिली। अस्पताल में नवपदस्थ डॉक्टरों ने टेस्ट ट्यूब प्रेगनेंसी के जटिल ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। इससे प्रसूता की जान बच गई और परिजनों के साथ डॉक्टरों को राहत मिली। ये बस्तर का प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी बताया जा रहा है।
जटिल ऑपरेशन कर डॉक्टर्स ने बचाई प्रसूता महिला की जान
सुकमा। शादी के 16 साल बाद हुई थी गर्भवती-
दरअसल, जिला अस्पताल में पहली बार कृत्रिम गर्भाधान के जटिल मामले का सफलतापूर्वक ऑपरेशन हुआ। भट्टीपारा दंतेवाड़ा निवासी सुशीला शादी के 16 साल बाद प्रेगनेंट हुई थीं, लेकिन दुर्भाग्य से यह प्रेग्नेंसी ट्यूब में हो गई थी। इसकी जानकारी सोनोग्राफी जांच से मिली, तो परिजन परेशान हो गए थे। क्योंकि सोनोग्राफी में यह भी पाया गया कि पेरिटोनियम कैविटी में भी लगभग दो लीटर ब्लड चला गया है।
ऐसी क्रिटिकल स्थिति में डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन का निर्णय लिया और सफल ऑपरेशन हुआ। प्रसूता सुशीला की जान बच गई। ऑपरेशन में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ एमएस नेताम, डॉ जोग राजा, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ गौरी नंदा, जनरल सर्जन डॉ बरिहा एवं स्टाफ नर्स की टीम ने हिस्सा लिया।
चुनौती था ऑपरेशन करना-
सिविल सर्जन डॉक्टर एसपीएस शांडिल्य ने बताया कि महिला की 3 महीने से प्रेगनेंट थी, सोनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार इसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी का मामला बताया गया। दंतेवाड़ा में इस तरह का ऑपरेशन पहले कभी नहीं किया गया था। लेकिन हमने निर्णय लिया कि यह ऑपरेशन करेंगे और यह सहजतापूर्वक हो गया। ऑपरेशन में दो बातें एक साथ करनी थी, ट्यूब प्रेगनेंसी से उपजी समस्या से निपटना और ब्लड क्लोटिंग को ठीक करना। इसके लिए ब्लड बैंक से ब्लड की व्यवस्था की गई, तेजी से ब्लीडिंग होने की वजह से मुश्किल से ब्लड सर्कुलेशन को नियंत्रित किया गया।
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