अभियान पर अभिमान




दंतेवाड़ा का दिव्यांग सोमारू प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को सफल बनाने में दिलोजान से जुटा हुआ है। दोनों पैरों से अपंग होने के बावजूद भी उसने शौचालय के लिए सेप्टिक टैंक खोद लिया। उसके बाद उसमें ईटों की जोड़ाई भी हो गई है। इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि सोमारू ने सेप्टिक टैंक की खुदाई खुद की है। सोचकर भी आश्चर्य होता है कि एक दिव्यांग कैसे इतने गहरे सेप्टिक टैंक की खुदाई कर लेगा? अगर करेगा तो मिट्टी कैसे निकालेगा, मगर सोमारू ने इस काम को भी बखूबी अंजाम दिया। यहां ये भी बताना जरूरी है कि सोमारू कभी बैलाडीला लौह खदान ममें मजदूरी करता था। एक विस्फोट की चपेट में आने के कारण उसके दोनों पैर कट गए। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को लोगों ने जमकर सम्मान दिया। किसी ने बकरियां बेंची तो किसी ने गहने और किसी ने जमीन। इन सबसे अलग एक दोनों पैरों से दिव्यांग ने अपनी मेहनत के दम पर सेप्टिक टैंक खोदकर मिसाल कायम की। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी। कभी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी कहा था कि इंसान शरीर से नहीं दिमाग से चलता है। उनके इस कथन को इस युवा ने शब्दश: सत्य साबित कर दिया है।
देश के दूसरे दिव्यांगों को सोमारू से प्रेरणा भी लेनी चाहिए। वैसे भी गीता में कहा गया है कि मनुष्य का सिर्फ कर्म में अधिकार है फल में नहीं। लिहाजा यदि मनुष्य कर्मयोगी बन जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है।
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