26/11 आखिर कब तक?

26/11 के चार साल बाद भी लाचार दिखती सरकार, वादों की बौछार, मंहगाई और भ्रष्टाचार, विरोधियों पर प्रहार। न सफाई, न दवाई, आम आदमी की सुरक्षा हवाहवाई चाहे वो दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, रायपुर, या फिर हो मुंबई। राष्ट्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी की एक भी बैठक आज तक नहीं हुयी। न ही हमारी बहादुर और तेज तर्रार ख़ुफ़िया विभाग की कोशिश से कोई बड़ा हमला टला। ऐसे हालत में तो भगवान ही करे हिन्दुस्तान का भला।एक सूत्री कार्यक्रम चलाया जा रहा है हमारे नेताओं द्वारा अपना काम बनाता तो भाड़ में गई जनता!!!!! मगर ऐसा कब तक? हमारी सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर ये नुक्कड़ नाटक कब तक? देश की सीमाओं की सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ कब तक। सेना के जवानों को हत्यारों पर राजनीति कब तक, बेहद जरूरी, समस्याओं को टालने की आदत आखिर कब तक? वेतन और भत्ते के नाम पर देश के खजाने से मोटी रकम निकाल कर अपना घर तो चलते हैं मगर हमारा घर क्यों जलाते हैं? क्या ये अन्याय नहीं है? अगर है तो कोई इसपर कुछ बोलता क्यों नहीं? कुछ करता क्यों नहीं?

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