उनके ठाठ और अदालत गंज घाट


क्या किसी की  की कीमत मात्र दो लाख रुपये है? देश में भगदडो में अब  हजारों लोगों की जान जा चुकी है। हर बार  अपनी जिम्मेदारी से बचने का एक मात्र यही बहाना बनाता है। अब तो वो आम आदमी की जान की भी कीमत धड़ल्ले से लगाने लगा है। लाख टके का सवाल तो ये है कि क्या यही रेट अगर किसी मंत्री का बेटा  या फिर बेटी मरेगी तो भी लागू रहे गा या फिर   रेट लिस्ट बदल दी जायेगी? रही बात जांच की तो आज तक इस देश में कितनी जांचों की रिपोर्ट आ पाई है ? भोपाल गैस  काण्ड इसका  जीता जगता उदाहरण है। क्या  बाद भी हम इस पर विस्वास कर लें? क़ानून में एक खून करनेवाले को फांसी की सजा दी जाती है तो क्या जिसकी गलती से देश में हजारों लोगों की जानें गई हैं उसको सजा नहीं दी जा सकती? अगर हाँ तो अबतक दी क्यों नहीं गई?  घटनाओं पर राजनीति की रोटी सेंकनेवाले अपनी घटिया हरकत बंद क्यों नहीं करते? हम ऐसे स्वार्थी और कामचोरों को कब तक ढोते  रहेंगे?

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