शब्दों की ताकत
बात और हल्दी जहां भी लगाइए लगती है? बात अच्छी हो तो मिठाई खिलादे, बिगड़ा
काम बना दे। बहुत अच्छी हुई तो किसी आम को ख़ास बना देती है। मगर यही बात
अगर बिगाड़ जाए तो उसका बतंगड़ बनाते देर नहीं लगती। और अगर वक्ता फिर भी
नहीं सुधरा तो फिर समझ लीजिये प्रतिष्ठा साफ़। गुस्ताखी माफ़ यही है शब्दों
की ताकत। शब्द ही मंत्र हैं अब ये तो उस वक्ता पर निर्भर करता है की वो
शब्दों को कितना साध पाटा है। हम तो यही कि ---
बात अच्छी हो तो उसकी हर जगह चर्चा करो। हो बुरी तो दिल में रक्खो फिर उसे अच्छा करो।।
रौशनी करने का मतलब ये नहीं हरगिज़ की आप। जो भी पर्दे में पडा हो उसको बेपर्दा करो।।
बात अच्छी हो तो उसकी हर जगह चर्चा करो। हो बुरी तो दिल में रक्खो फिर उसे अच्छा करो।।
रौशनी करने का मतलब ये नहीं हरगिज़ की आप। जो भी पर्दे में पडा हो उसको बेपर्दा करो।।
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