एक क़ता


पेट भूँखा है जेब खाली है।
 कैसे कह दूं कि शुभ दिवाली है ।। 
आज बाजार फिर से निकला हूँ ।
हाथ में देखो  कि माँ  बाली है।। ..
- कपूत प्रतापगढ़ी

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