सरकार की पैसों की बढ़ती भूख और मिटता गरीब

पहले यूरिया खाद भारत को देकर अन्न का उत्पादन बढाया जाता है। फिर कीटनाशक छिडाकवाकर हमें बीमार बनाया जाता है।
इसके बाद बाजारों में लाई जाती है दवाई , विदेशी दोनों ही हाथों से कर रहे हैं कमाई। सरकार का दावा  की वो कर रही है देश के किसानों की भलाई? मजबूर मजदूर  और  गरीब किसान हो रहा है हैरान परेशान। विदेशियों का ये आइडिया सरकार के काम आया। उसने भी बेंचने का मार्ग अपनाया, पहले जमीन, जंगल और फिर पानी बेचकर लिख डाली एक नई कहानी। गरीब अब तो इस देश में सकते में जीते हैं पानी का नाम पर आर्सेनिक जैसा जहर पीते हैं। सरकार का खजाना इससे भी नहीं भर रहा है और गरीब यही पानी पी-पीकर मर रहा है।ऐसे में याद आते हैं दादा कैसर शमीम साहब जो फरमाते हैं कि -
इंसान घटाए जाते हैं सायों को बढाया जाता है, दुनिया में हमारी यह कैसा अंधेर मचाया जाता है !
पहले तो जताई जाती है हमदर्दी प्यास के मारों से, फिर आँख बचाकर पानी में कुछ ज़हर मिलाया जाता है!!

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