तीन कौड़ी के लोगों की मस्ती

प्रशासन के पास चाटुकारों की कमीं नहीं है, और हमें अपने हुनर पर यकीन है! भले ही उनकी निगाह में हम कौड़ी के तीन हैं मगर तीन कौड़ी के लोगों की मस्ती भरी तिजोरी वालों को नहीं मालूम! वो नीद की दवाइयां खाकर तनाव में जलते है या फिर रोते हैं! हम फकीरी मस्ती वाले लोग पैर फैलाकर आराम से सोते हैं! और बकौल कौसर परवीन कोलकाता कि--
हम फकीरी में ऐश करते हैं! ये हुनर बादशाह क्या जानें!!
और ---
एक झोपडी बची थी वो सैलाब ले गया!
हमको किसी तूफ़ान का अब डर नहीं रहा!!

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