बाहरी कवियों के ठेकेदार

यूं तो उनपर मेहरबान है छत्तीसगढ़ सरकार इसी लिए वो बन बैठे हैं बाहरी कवियों के ठेकेदार, चुटकुलों के बल पर चमकाए बैठे है अपनी बाजार। मुझे लग रहा ये छत्तीसगढ़ के हिदी कवियों का दमन है, चूंकि उनके पीछे खड़े डॉक्टर रमन हैं इसलिए उनको नमन है! उम्मीद करता हूँ की आज की शाम जब ये धाकड़ कवि राज्योत्सव के पवित्र मंच पर आयेंगे तो कोई वजनदार स्वरचित कविता जरूर सुनायेंगे जो छंद बद्ध हो।मजेदार बात तो ये की इतना कुछ करने के बाद भी राज्य के साहित्यकार और पत्रकार ही नहीं मीडिया हाउस भी उनको मोटे लिफ़ाफ़े थमाते हैं। आगे तो जय जैकार करते हैं।मगर पीठ के पीछे भुनभुनाते हैं। मुखमंत्री की आड़ लेकर ये महाकवि बच रहे हैं तो विरोधी नाकों के बल नाच रहे हैं। बुरा लगे तो लग जाए मगर कह हम सौ फीसदी सच रहे हैं।

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