रायपुर का मेकाहारा अस्पताल
जहां मरीज फिरता हो मारा-मारा, प्रशासन बना बैठा हो दुहशासन और बेसहारा,
बीमार लोगों के परिजनों को दिन में ही दिखाई देता हो तारा। राज्य के उस
असपताल का नाम है मेकाहारा। जहां का वार्ड ब्वाय खुद को समझता है बॉस अच्छे
अच्छों को नहीं डालता घास। गरीब यहाँ घिघियाता है, हर चौथे अधिकारी की
गलियाँ खाता है। काम के नाम पर सिर्फ बहाना। अनपढ़ पूंछते फिरते हैं
डॉक्टरों के ठिकाने तो नर्सें दौड़ती हैं काट खाने। सेक्योरिटी वाला भी लगता
है सेठ , किसी का कान तो किसी का हाथ देता है उमेठ। सारे सरकारी दावे यहाँ
पानी भरते हैं ....कभी मौक़ा मिले तो वहाँ जाकर देखिये कि स्वास्थय विभाग के कर्णधार रोज कितनों का उद्धार करते हैं?
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