ढेर होते क्रिकेट के शेर
हमारे शेर एक बार फिर वानखेड़े में ढेर होने की तैयारी में लगे हैं। पनेसर
की फिरकी की फांस में फंस कर अंतिम सांस ले रहे हैं।अब ये तो पता नहीं की
और कितनी नाक कटवाएँगे ये हमारे बहादुर बब्बर शेर ? देश और देश की जनता की
भावनाओं से इनका कोई लेनादेना नहीं है? एक बार तो एक हरफनमौला खिलाड़ी ने
यहाँ क\तक कह दिया था की क्रिकेट को दिल से क्यों जोड़ते हो? मेरी मोटी
बुद्धि में उनकी बारीक बात आज तक नहीं घुसी अलबत्ता असर ये जरूर हुआ कि
मैंने क्रिकेट देखना छोड़ दिया। और सही बताऊँ तब से बहुत खुश- और सुखी हूँ।
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