शराब और सियासत



 बदन पर चीथड़े और उस पे भी नज़रें जमाने की, इलाही हद भी होती है किसी को आज़माने की।


कहते हैं अगर किसी से दुश्मनी निभानी हो तो उसको नहीं बल्कि उसके बच्चों को बिगाड़ो। छत्तीगढिय़ों के साथ भी यही होता आ रहा है। लगातार यही खबरें छन कर आती हैं कि फलांने स्कूल में आठवीं का छात्र नशे में टुन्न होकर स्कूल पहुंचा। तो कहीं ये खबर आती है कि पांचवीं के छात्र के स्कूल बैग से शराब की बोतल बरामद हुई। उस पर भी शिक्षा का अधिकार का जप करता प्रदेश का शिक्षा विभाग और कमाई कर मूंछों पर ताव देता आबकारी विभाग। दोनों के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं, मगर जिसका बुढ़ापा इसकी वजह से नर्क बन गया उसकी ओर कोई देखने वाला दिखाई नहीं देता। आए दिन होने वाली किचकिच से हलाकान हुई महिलाओं ने अब इसके खिलाफ हुंकार भरना शुरू कर दिया है।
महिलाओं के आक्रोश की आग पूरे प्रदेश में फैल चुकी है। परिस्थितियों को अपने पक्ष में करने में माहिर भाजपा के रणनीतिकार पता नहीं क्या सोच कर चुप्पी साधे बैठे हैं। जब कि उनको चाहिए था कि वे हवा का रुख देखकर अगर थोड़ी सी भी जागरूकता दिखा देते हैं, तो आने वाले चुनावों में पूरे प्रदेश की महिलाओं का वोट सीधे भाजपा के खाते में चला जाएगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। सरकार के हाथ में ये सबसे बढिय़ा मौका है अगर वो इसी पर एक जोरदार चौका मार दे तो भाजपा का प्रदेश में चौथा कार्यकाल भी पक्का हो सकता है। यह भी ठीक उसी प्रकार होगा जैसे पिछले चुनाव में महिलाओं को राशन कार्ड में मुखिया बनाकर प्रदेश के मुखिया सुखिया हो गए थे। उसी प्रकार इस बार भी उनके हाथ में ये मौका है अगर प्रदेश सरकार के रणनीतिकार जरा सी दूरंदेशी दिखाएं ओर देशी शराब को खराब करना शुरू करवा दें। प्रदेश की महिलाओं का 90 से ज्यादा वोट भाजपा की झोली में चला जाएगा। और इस राज्य का गरीब तबका और गरीबों के बच्चों का भविष्य भी सुधर जाएगा।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव