जनाब... आप कब बंद करेंगे देशी शराब





देशी शराब बंद कर चुका बिहार, चुप्पी मारे बैठी छत्तीसगढ़ सरकार और ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की गूंजती हुंकार। बोतलों से खेलता बचपन और शाम होते ही लडख़ड़ाता पचपन साल का बूढा। नशा हे खराब झन पी हू शराब का नारा जहां लग रहा हो बेचारा। ऐसे में प्रदेश के विकासोन्मुख प्रशासन से सीधा सा सवाल कि जनाब... आप कब बंद करेंगे देशी शराब? इसी के मुनाफे और नुकसान को लेकर हाजिऱ है हमारी सरकार की ये विशेष पेशकश.....

रायपुर। बिहार में देशी शराब बंद कर नीतिश कुमार ने जमकर वाहवाही लूट रहे हैं। उनके इस निर्णय की सर्वत्र चर्चा हो रही है। तो वहीं सरकारी अमले ने देशी शराब का सार्वजनिक तौर पर विनिष्टीकरण किया । कहीं ट्रक, कहीं बुलडोजर तो कही ट्रैक्टर्स से  बोतलों को चकनाचूर किया गया। इससे समाज के गरीब लोगों विशेष कर महिलाओं के चेहरे पर खुशी छलकती दिखाई दी।
महिलाओं का बढ़ता विरोध और हाथ बांधे खड़ी सरकार-
छत्तीसगढ़ में भी देशी शराब का कारोबार जोरों पर है। इसके लिए लगातार महिलाओं द्वारा विरोध भी किया जा रहा है। चाहे वो बिलासपुर हो या कांकेर, कोरबा, भिलाई हो या दुर्ग अथवा महासमुंद। सभी जगहों पर महिलाओं ने देशी शराब के लिए कमर कस रखी है। राजधानी रायपुर के चंगोराभाठा में शराब भट्टी हटाने के लिए महिलाओं का अभी हालिया विरोध सामने है, जिसको लेकर शासन -प्रशासन और महिलाओं में संघर्ष तक की स्थिति निर्मित हो गई थी। जोश में होश खो चुके प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना बयान आया कि दुकान वहीं खुलेगी। वहीं रतनपुर की महिलाओं ने भी शराब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
भानसोज से हुई थी शुरुआत-
मंदिर हसौद के भानसोज गांव से इसकी शुरुआत हुई थी। सबसे पहले यहां की महिलाओं ने देशी शराब भट्टी के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके बाद तो ये आग पूरे राज्य में फैलती गई।
सियासीकरण की भी कवायद-
इसी बात को लेकर अशोक बजाज जब रायपुर के सीईओ थे उस वक्त नारा दिया गया। नशा हे खराब झन पी हू शराब। हालांकि ये नारा महज वोटों का चारा खाकर जनता को बेचारा बनाने के लिए ही लगाया गया था। इसके बाद हाशिए पर बजाज भी चले गए और नारा भी। इसके पीछे तमाम लोगों ने जमकर मलाई खाई। इसके बाद इसको किनारे रखकर चुपचाप किनारे हो लिए।
महासमुंद के विधायक बन गए लायक-
महासमुंद जिले के निर्दलीय विधायक डॉ. विमल चोपड़ा ने अपने इलाके में देशी शराब के खिलाफ मुहिम चला रखी है। आए दिन यहां से शराब की बरामदगी होती रहती  है। अपनी इसी मुहिम के बल पर विधायक चोपड़ा की इस इलाके में तूती बोल रही है। उनके समर्थन में एक विशाल जनसमूह खड़ा दिखाई देता है।
भाजपा भी आजमा सकती है ये नुस्खा-
अगर यही नुस्$खा भाजपा पूरे प्रदेश में लागू कर दे तो थोडे से राजस्व का नुकसान खजाने को जरूर होगा, मगर उसका चौथा कार्यकाल जरूर पक्का हो जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं है, क्योंकि सरकार जैसे ही देशी शराब पर रोक लगाएगी। महिलाओं का पूरा हुजूम भाजपा के पक्ष में चला जाएगा। पिछली बार जैसे महिलाओं को घर की मुखिया बनाकर प्रदेश के मुखिया सुखिया बन गए थे। इस बार यही मंत्र मुख्यमंत्री को उनके चौथे कार्यकाल का दरवाजा खोलेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। पर इसके लिए पहल भी सरकार को ही करनी होगी।

राजस्व की भरपाई-
अधिकारियों का तर्क है कि इससे होने वाले खजाने के नुकसान की भरपाई कैसे की जाएगी? इसके लिए तमाम फार्मूले अपनाए जा सकते हैं। इसी एल्कोहल को पेट्रोल मिलाकर गाडिय़ों में डाला जा सकता है। इससे हमारी पेट्रोल पर न सिर्फ निर्भरता कम होगी वहीं सरकार की आय भी बढ़ेगी।
अगले दस साल में सुधर जाएगी प्रदेश की तस्वीर-
अगर छत्तीसगढ़ सरकार अगर प्रदेश से देशी शराब की बंदी करवा देती है तो इसका दूसरा फायदा ये होगा कि अगले दस सालों में प्रदेश की तस्वीर ही पूरी तरह बदल जाएगी। लोग हर क्षेत्र में विकास कर सकेंगे, चाहे वो कृषि, शिक्षा हो अथवा तकनीकि या फिर स्वास्थ्य।
 बोलने को तैयार नहीं दिखते सचिव-
राज्य के आबकारी सचिव गणेश शंकर मिश्रा इस मामले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या ये वही गणेश शंकर मिश्रा है जिन्होंने कभी राज्य में भारत माता वाहिनी खोलकर शराब बंदी का शंखनाद करवाया था? अगर हां तो फिर जो आज बहानेबाजी पर उतारू हो गए वो आखिर कौन थे?



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