चढ़ता पारा उतरता पानी


नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में, उजाले पांव पटकने लगे हैं पानी में।





जैसे-जैसे प्रदेश में गर्मी का पारा ऊपर चढ़ रहा है। भू-जल स्तर नीचे उतरता जा रहा है। कमजोर हुए नल अब हांफने लगे हैं।  सरकारी बोर भी जोर नहीं लगा पा रहे हैं। नलों के पतली होती धार और लोगों की बढ़ती प्यास और पानी की तलाश, व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगा रही है।
रूखा प्रशासन भी मौसम का सूखा देखकर डर गया।  लिहाजा राजधानी के कलेक्टर ने जल स्रोतों पर धारा 144 लागू कर दिया। अब 6 इंच के बोर पर रोक लगा दी गई है।  बोर पर रोक लगाने से पानी चोर मानने वाले नहीं हैं। लगातार भू-जल स्तर का दोहन किया जा रहा है। ऐसे में सरकार के इस आदेश के कोई मायने नहीं रह जाते हैं। आलम ये है कि राजधानी के तमाम इलाकों में मनमाने ढंग से बोर के माध्यम से पानी खींचा जा रहा है। और प्रशासन 6 इंच के बोर काटने की कानूनी माला का जाप कर रहा है।
भू-जल के पाताल की ओर जाने का सबसे बड़ा कारण हैं कटते पेड़, घटते तालाब और वॉटर सोर्स रिचार्जिंग एलीमेंट्स। इसके अलावा शहर से लेकर गांवों तक बढ़ते कांक्रीट के जंगल। इन्हीं सारी चीजों के चलते भू-जल  का संभरण नहीं हो पा रहा है। इसके कारण ऐसी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
प्रदेश के पहुंच विहीन इलाकों में लोग कहीं तालाब तो कहीं झेरिया का पानी पीने को मजबूर हैं। व्यवस्था की अवस्था इन जगहों पर खराब है। अलबत्ता राजधानी के वातानुकूलित कमरों में बैठे तमाम बड़े अधिकारी इस बात से कोई इत्तेफाक नहीं रखते कि ऐसा भी होता होगा?
यहां आम जनता को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के नाम पर कहीं वॉटर एटीएम तो कहीं पर पानी टंकी और बड़े-बड़े बोर कराए जा रहे हैं। इनके नाम पर आने वाला मोटा बजट तमाम लोगों की जेब में जा रहा है। समय -समय पर इसमें घोटाले की खबरें आती  रहती हैं।
सरकार अगर वास्तव में लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर है। उसको लोगों की प्यास की चिंता है। तो सबसे पहले उसको धरातल पर उतर कर काम करना होगा। इसके लिए पेड़ लगवाने से लेकर तालाबों और दूसरे जल स्रोतों के रिचार्ज करने वाले स्रोतों की रक्षा करनी होगी। इसके अलावा पहुंच विहीन क्षेत्रों में स्वच्छ जल की आपूति को प्राथमिकता के साथ पहुंचाना होगा। प्रदेश में आयरन और आर्सेनिक वाले पानी के शिकार लोगों की भी बहुतायत है। ऐसे क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छ पानी मिले इसकी भी व्यवस्था करनी होगी।

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