ठाट से छाप दी अशोक की लाट





तिल्दा नेवरा नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष ने गणतंत्र दिवस पर अफसरी छांट, ठाट से प्रमाण पत्र पर छपवा दी अशोक की लाट। जिसकी अवमानना करने पर खड़ी हो जाती है अच्छे -अच्छों की खाट, मलेमानस ने लगा दी उसी की वॉट? अधिकारी अभी भी अपनी शान में ऐंठे हैं, माताहतों के भरोसे तने हुए बैठे हैं। तो वहीं माताहतों के सामने है समस्या भारी,वो उपलब्ध करा रहे हंै आधी-अधूरी जानकारी। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी शहर के कार्यकर्ताओं ने इस मामले की शिकायत भी नेवरा थाने में दर्ज कराई है। तो पुलिस अधीक्षक ने बताया की ये बात उनकी जानकारी में नहीं आई है।




रायपुर।
गणतंत्र दिवस पर पूरे देश में जिस कानून का सम्मान किया जाता है। उसी कानून की तिल्दा नेवरा में सरेआम धज्जियां उड़ाई गईं, और अनजान लोग तालियां बजाते रहे। दरअसल नगर पालिका परिषद तिल्दानेवरा में स्वच्छ भारत अभियान के तहत अच्छा कार्य करने वाले स्कूलों के प्राचार्यों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर जो प्रमाण पत्र नगर पालिक निगम के अध्यक्ष ने अपने हस्ताक्षर कर के जारी किया उसमें सरेआम राष्ट्रीय चिह्न अशोक की लाट बनी हुई है। ऐसे में ये एक बड़ा ही संगीन मामला है,क्योंकि इस लाट को प्रकाशित करने का अधिकार हमारा संविधान कुछ खास लोगों को देता है।
युवाओं में आक्रोश-
इस मामले को लेकर नगर के युवाओं में आक्रोश व्याप्त है। भाजपा तिल्दा शहर मंडल के पदाधिकारियों ने तिल्दा नेवरा थाने में इसकी लिखित शिकायत की है।

उठने वाले सवाल-
राष्ट्रीय चिह्न के उपयोग का अधिकार किसी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष को है क्या? और यदि नहीं है तो फिर तो ये गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

क्या कहता है संविधान-
 भारतीय अधिसूचना एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी, पार्ट-2, सेक्शन तीन, सब सेक्शन एक (चार अक्टूबर 2007) को गृह मंत्रालय से जारी नियमों के तहत विजिटिंग कार्ड पर अशोक स्तम्भ छपाने का अधिकार चुनिंदा पद पर बैठे लोगों को ही है। स्टेशनरी सहित अन्य जगहों पर भी इसके उपयोग को लेकर मनाही है। नियमों के पेज तीन एवं कॉलम- 10 के तीसरे पैरा में स्पष्ट है कि कोई भी संगठन एवं व्यक्ति अशोक स्तम्भ का उपयोग नहीं कर सकेगा। अधिसूचना के तहत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, गवर्नर, लेफ्टिनेंट गवर्नर, प्रशासक, संसद कार्यालय और अधिकारी, प्लानिंग कमीशन के अधिकारी, मुख्य चुनाव आयुक्त सहित कुल 16 पदों को इस प्रतीक के इस्तेमाल का अधिकार है।
वहीं भारत राज्य संप्रतिक नियम 2007 में ये स्पष्ट उल्लेख है कि नगर पालिका परिषद राष्ट्र चिह्न का प्रयोग नहीं कर सकती है। वैसे नगर पालिका परिषद  जिला प्रशासन का ही अंग है, अशोक स्तंभ की जगह छत्तीसगढ़ सरकार का मोनो का उपयोग कर सकता है।
ऐसे में सबसे अहम सवाल तो यही उठता है कि फिर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष का ये कृत्य क्या गैर कानूनी है?


वैसे भी बातचीत में ये मामला सामने आया कि अध्यक्ष को नियम कायदे की जानकारी बिल्कुल भी नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वे संवाददाता के सवालों का कौन कहे उत्तर देने को उन्होंने किसी तरह अपना पीछा छुड़ाते हुए मामले को अपने एक अधीनस्थ इंजीनियर का नंबर थमा दिया। इंजीनियर ने भी उनके पास जो भी आधी -अधूरी जानकारी उनके पास पड़ी थी व्हाट्सएप पर डाल कर गंगा नहा लिया।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार-
मैंने कोई भी अवैधानिक कार्य नहीं किया है। मैंने इसका उपयोग एक निश्चित धारा के तहत किया है। वो धारा मुझे याद नहीं है। मैं अपने इंजीनियर आरकेण् जैन का नंबर दे रहा हूं आप उनसे बात कर लें वो समझा देंगे।
महेश अग्रवाल
अध्यक्ष
नगर पालिका परिषद
मुझे भी वो धारा याद नहीं है आप अपना ह्वाट्सएप नंबर दे दीजिए मैं आपको ह्वाट्सएप पर मैसेज कर देता हूं, पढ़ लीजिएगा।
आरके जैन
अभियंता

चारसौ बीस का मामला बन सकता है
ये चार सौ बीस का मामला बन सकता है, क्योंकि प्रतीक चिह्न से छेड़छाड़ नहीं की गई बल्कि उसका दुरुपयोग किया गया है।
वर्जन-
मुझे मामले की जानकारी नहीं है, लिहाजा मैं कुछ भी बता पाने में असमर्थ हूं। आप थाने से पता कर लें।
बीएन. मीणा
पुलिस अधीक्षक
रायपुर

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