तृप्ति की सियासी तृष्णा



जब तल$क शीशा रहा मैं बारहा तोड़ा गया, बन गया पत्थर तो सबने देवता माना मुझे।


भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ता तृप्ति देसाई की महाराष्ट्र के कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में पिटाई हुई। बताया जाता है महालक्ष्मी मंदिर के गर्भगृह में वे नेताओं वाला ड्रेस पहनकर प्रवेश करने की कोशिश कर रही थीं। जब कि वहां का ये नियम है कि जो भी महिला महालक्ष्मी के गर्भगृह में प्रवेश करती है उसे साड़ी धारण करना अनिवार्य है। शनि शिगनापुर में महिलाओं को प्रवेश दिला कर सुर्खियों में आई तृप्ति अपनी प्रसिध्दि से तृप्त नहीं हुईं। खबरों में बने रहने के लिए लगातार नाटकों का सहारा लेने की फिरा$क में फंस गईं। ऐसे में तो फिर लोगों के कोपभाजन का शिकार होना ही था।
भूल और अपराध में यही मूलभूत अंतर है। अनजाने में की गई गलती को भूल और जानबूझकर की गई गलती को अपराध कहा जाता है। भूल के लिए प्रायश्चित और अपराध के लिए दंड का प्रावधान है।
 जब पूरे देश की महिलाएं जहां साड़ी पहन कर जा रही हों तो वहां तृप्ति देसाई जैसी महिला आखिर खुद को क्या साबित करना चाहती हैं? क्या उनके लिए देश के नियम कायदे की कोई अहमियत नहीं है? हर जगह समाज के नियम कायदे तोड़कर ही क्या प्रसिध्द होने का नुस्खा जायज है? हर जगह दबंगई ही नहीं चलती। कुछ तो आदमी को समझदार होना चाहिए?
इस देश में प्रसिध्द होने के लिए लोग तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। उन्हीं में से एक हथकंडा तृप्ति देसाई ने भी अपना रखा है। वैसे भी सहिष्णुता के नाम हिंदुओं को जितना परेशान किया जाता है, ये बात किसी से भी छिपी नहीं है। तृप्ति देसाई में अगर दम है तो किसी की दरगाह में जाकर ऐसी नौटंकी करके दिखाएं। एक घंटे में उनको उनकी असली औ$कात पता चल जाएगी। जिस महाराष्ट्र में उन्होंने ये नौटंकी की वहीं की महिलाओं ने उनके इस कृत्य की कड़े शब्दों में भर्तसना की। देश और इस देश के लोग महिलाओं का सम्मान करते हैं, मगर इसका मतलब ये कतई नहीं कि आप अपने हर गलत काम को महिला होने का जामा पहना कर बच निकलें। इस मामले में सबसे अच्छी बात जो देखने को मिली, वो ये कि महाराष्ट्र की शिक्षित महिलाओं ने दो कदम आगे बढ़कर इस करतूत की निंदा की।
ऐसे में एक उम्मीद तो ये है कि जब तक इस देश में शिक्षित और जागरूक महिलाएं हैं, ऐसी तृप्ति देसाई उनको कतई बरगला नहीं सकतीं। देश आज महाअष्टमी को मां दुर्गा की विदाई में लगा है। ऐसे समय में महाराष्ट्र की उन देवियों ने जिस बहादुरी के साथ तृप्ति देसाई के इस अनैतिक कारनामे को मुंहतोड़ जवाब दिया है। उससे साफ जाहिर हो चुका है कि जब तक हमारे घरों में ऐसी जागरूक बहनें और माताएं हैं। तृप्ति देसाई जैसी ताकतें उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती। वो जमाना लद गया जब इनको कोई बरगला और फुसला लिया करता था। अब ये हर चीज को अच्छी तरह समझती और जानती हैं। लिहाजा उनको गुमराह करना अब उतना आसान नहीं है जितना कि ये नेता समझते हैं। देश की मातृशक्ति अब जाग चुकी है। ऐसे में अब ऐसे तत्वों को अब सावधान रहना होगा जो हमारे धर्म और मजहब के नाम पर अपनी सियासत चमकाने की फिरा$क में रहते हैं।

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