लाल की चाल में फंसे रमन





30 हजार करोड़ निवेश का दावा हुआ हवा, इंवेस्टर्स मीट में करोड़ों स्वाहा,

 ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट 2013 में नया रायपर में हुई थी उसमें सौ करोड़ खर्च करने के बाद भी एकन्नी का निवेश नहीं आया। उसके बाद अपनी साख बचाने के लिए मुख्यमंत्री माओवाद की मांद में निवेश मांगने के लिए याचक की मुद्रा में पहुंचे। नक्सलियों से लड़ाई और चीन से ही निवेश, आखिरकार ये भी चीन की चाल में फंस गए। जो चीन सुरक्षा परिषद की सदस्यता से लेकर भारत के तमाम अभियानों का सबसे बड़ो रोड़ा, जिसके पोषित नक्सलियों ने आदिवासियों को कहीं का नहीं छोड़ा। जिसने पूरे देश को चारों ओर से घेर लिया है। जिसके चले रूस ने भी हमसे मुंह फेर लिया है। जिसके भरोसे पाकिस्तान ओर वहां के आतंकी रहे हैं तन, उसी देश में जाकर मुख्यमंत्री रमन आखिर क्या साबित करना चाहते हैं? जब वहां से निवेश की 6600 करोड़ की भीख लेकर छत्तीसगढ़ आएंगे, तो किस मुंह से प्रदेश की 2.55 करोड़ जनता के आगे खुद को देशभक्त बताएंगे?

रायपुर। जिस राज्य के कद्दावर मंत्री अमर अग्रवाल की गाड़ी पर उल्टा लटकाया जाता हो तिरंगा। उसी सरकार के दूसरे विधायक श्रीचंद सुंदरानी वित्त मंत्री अरुण जेटली और अपनी ही पार्टी का विरोध करते हुए सराफा व्यवसाइयों के धरने में कूद पड़े। और पार्टी के नीति -नियंता चिर निद्रा में सोए हुए हैं।
निवेश के लिए विदेश गए मुख्यमंत्री-
राज्य के मुखिया प्रदेश की नई राजधानी में उद्योग लगाने की सिफारिश लेकर चीन की यात्रा पर गए हैं। उनकी इस विदेश यात्रा के पीछे निवेश मुख्य कारण बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि  राष्ट्र के सबसे बड़े अपराधी और दुनिया के नामचीन आतंकी जैश-ए मोहम्मद के मौलाना मसूद अजहर को सुरक्षा परिषद में आतंकी बनाने की कवायद को जिस चीन ने अड़ंगा लगाया।  जिस चीन ने सुरक्षा परिषद में हमारी सदस्यता का जमकर विरोध किया। हमारी सीमाओं पर आए दिन जिसके सैनिक तरह-तरह की हर$कतें करते रहते हैं। जिसने बांधों के नाम पर हमारे असम की जीवन रेखा कही जाने वाली नदी ब्रम्हपुत्र को बांध दिया। जो हमारे ही राज्य में नक्सलवादियों को हथियार से लेकर तमाम विध्वंसक उपलब्ध कराता हो, उसी चीन के यहां भीख मांग कर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं?
भारत को घेर चुका है चीन-
घाटा और बेकारी की गिरफ्त में पड़े चीन की नजऱ भारतीय बाजार पर-
चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग खुद माओवादी नेता हैं। गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी ने जब उनका स्वागत किया था। तो एक बार देश को उम्मीद बंधी थी कि चीन अब शायद अपने रुख से पलट जाएगा। ये इंतजार करते रहे और चीन हमको चारों ओर से घेरता रहा। अब आलम ये है कि पूरा भारत उसकी गिरफ्त में है। आलम ये है कि क्या पाकिस्तान, क्या रूस और क्या नेपाल अथवा श्रीलंका सभी को चीन ने लगभग अपने झांसे में ले लिया है।
चीनी उत्पादों की  घटती लोकप्रियता-
चीनी उत्पाद सस्ते जरूर होते हैं, मगर विश्वसनीय कितने होते हैं ये दुनिया का हर कोई जानता है। ऐसे में उसके गुणवत्ताहीन उत्पादों को अपने राज्य में उत्पादन अगर कर भी लिया जाए तो भी उनके लिए बाजार कहां से लाएंगे?
चीन का छत्तीसगढ़ कनेक् शन-
छत्तीसगढ़ में और किसी का कुछ हो न हो मगर यहां के तस्करों और नक्सलियों का चीन से गहरा त-आल्लुक है। यही कारण है कि यहां से तमाम प्रजातियों के सांप, बाघों की हड्डियां और तमाम जड़ी-बूटियों की आपूर्ति बड़े पैमाने पर चीन को की जाती रही है।
शिवनाथ नदी के किनारे मिले थे लंगूरों के मांस के टुकड़े-
कुछ साल पहले लंगूरों के मांस के टुकड़े शिवनाथ नदी के किनारे सूखते हुए पाए गए थे। जांच में ये बात सामने आई थी कि इसमें भी चीन का ही हाथ है। दरअसल चीन में काम शक्ति बढ़ाने के लिए इनका उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है।  ऐसे में यहां के कुछ तस्करों ने बिरहोरों को ये काम सौंपा गया। वो तो बुरा हो मीडिया का कि मामले का खुलासा हो कर डाला। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ शासन ने पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
नक्सलियों के पास चीनी हथियार-
इसका खुलासा तो काफी पहले हो गया था कि  नक्सलियों के पास चीन के बने हथियार हैं। उसी के माध्यम से ये हमारे आदिवासियों और हमारी पुलिस व सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं। अभी हाल ही में बस्तर से नक्सलियों के कब्जे से चीनी ग्रेनेड तक बरामद हो चुके हैं। ये भी साबित हो चुका है कि राज्य में नक्सलवाद को चीन की सहायता से संचालित किया जा रहा है।
आतंकियों का नक्सल कनेक् शन-
लिट्टेइयों से प्रशिक्षण लेने के बाद अब माओवादियों ने आतंकवादियों से हाथ मिला लिया है। इसके पीछे भी चीन का हाथ सामने आ रहा है। ऐसे में चीन की कोशिश हमेशा भारत को आशांत रखने की दिखाई दे रही है। इसका खुलासा अभी हाल ही में गिरफ्तार हुए आतंकवादियों ने किया। उन्होंने बताया कि लखनऊ में उनसे छत्तीसगढ़ के आठ नक्सली आकर मिलने वाले थे। इसका मतलब साफ है कि आतंकवादी नक्सलियों से आईईडी बनाने की ट्रेनिंग लेंगे तो बदले में उनको दुनिया के अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति करेंगे। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के सामने एक नई चुनौती है, कि इनको आखिर कैसे नियंत्रित किया जाए?

चीन के मोबाइल्स का गिरता बाजार-
एक समय था जब देश में लगभग हर तीसरे आदमी के हाथ में चीन का बना मोबाइल सेट दिखाई देता था। चीन का रेडियो, कैमरे और तमाम इलेक्ट्रिक उपकरण चीन से आयातित होकर आते थे। अब आलम ये है कि उनके मोबाइल से ज्यादा बढिया और सस्ता मोबाइल हमारे यहां के बाजारों में उपलब्ध है। लिहाजा चीनी मोबाइल्स की अब उतनी पूछ परख नहीं रही।
चीन ने चौपट किया हमारा कालीन उत्पादन-
कभी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के भदोही को लोग कालीन हब के नाम से जानते थे। यहां लगभग हर घर में आपको कालीन बनाने का उद्योग मिलता। लोग अपनी रोजी-रोटी इन्हीं कालीनों से जुगाड़ करते थे। चीन की नजर इन कालीनों पर पड़ी और उसने सस्ते कालीन दुनिया के बाजारों में उतार दिए। लिहाजा अब उसी भदोही से कालीन बनाने वाले उद्योग समाप्त हो गए।
अभी भी कुछ बाकी बचा है क्या-
इतना सब कुछ होने के बावजूद भी अगर हमारे मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह चीन जाते हैं निवेश लाने तो फिर ये देश उनको क्या कहेगा?

क्या अब भी भाजपा खुद को देश भक्त कहेगी-
देश भक्ति के नाम पर लंबे-लंबे कसीदे पढऩे वाली भाजपा क्या इसके बाद भी ये कह पाएगी कि हमारे मुख्यमंत्री की आस्था देश भक्ति में है? राज्य की 2.55 करोड़ जनता के साथ क्या ये विश्वासघात नहीं है? जो नक्सली हमारे आदिवासियों को भेड़-बकरियों की तरह जनअदालत लगाकर काट डालते हैं, हम उनके मुखिया शीजिन पिंग के आगे घुटने क्यों टेकें?

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