नक्सलियों के पीछे लगे ओसामा को ढूंढ निकालने वाले श्वान


तरीके बदल-बदल कर माओवादी हलाकान
रायपुर। बेल्जियम के मेलानोइस नस्ल के कुत्तों ने नक्सलियों में दहशत मचा दी है। अर्धसैनिक बलों की टुकड़ी में शामिल मेलानोइस नस्ल के ये उच्च प्रशिक्षित श्वान नक्सलियों के लिए किसी अपशकुन से कम नहीं है। 'लाल आतंकÓ के खिलाफ इस बेहद खतरनाक कुत्ते का इस्तेमाल काफी कामयाब साबित हो रहा है और इसने माओवादी संगठनों के मन में डर पैदा किया है।
सशस्त्र विद्रोह से निपटने में महारत
 अधिकारी बताते हैं कि इन कुत्तों को सशस्त्र विद्रोह से निपटने में महारत हासिल है। यही वजह है कि नक्सली एक दूसरे को ऐसी पट्रोल पार्टी से बचने की हिदायत देने लगे हैं जिसके साथ कुत्ता भी चल रहा हो।
 विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक ये कुत्ते सिर्फ विस्फोटक को सूंघने में ही सक्षम नहीं, बल्कि नक्सलियों से मोर्चा ले रहे जवान इन्हें हमला करने, जासूसी करने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
घात लगाकर करते हैं हमला भी-
अधिकारी ने कहा कि माओवादियों की घात लगाकर हमला करने की योजना के बारे में ये कुत्ते पहले से ही सूचना दे देते हैं। सरेंडर कर चुके कई पूर्व माओवादियों ने पूछताछ में बताया है कि अगर वो किसी पेट्रोल पार्टी में कुत्ते को देख लेते हैं तो दोगुनी चौकसी बरतते हैं।
नई ट्रेनिंग तकनीक से ये कुत्ते घात लगाकर हमले का पता भी लगा सकते हैं। इससे, जवानों की टुकड़ी समय रहते अलर्ट पर आ जाती है।
नक्सलियों ने निकाली काट-
माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में शामिल अधिकारी बताते हैं कि माओवादी भी तकनीकी रूप से मजबूत हो चुके हैं इसलिए जवान लगातार अपनी रणनीति बदलकर माओवादियों से दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं।
गाय के गोबर से ढंकते हैं विस्फोटक-
जवानों से लड़ाई में नक्सली भी एक से बढ़कर एक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह विस्फोटक को गाय के गोबर से ढंक देते हैं, उसपर मानव चेहरे की आकृति, काली और लाल मिर्च रखते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे कुत्तों को विस्फोटक की भनक न लग सके। इसलिए फोर्स भी नई नई तकनीकें ईजाद कर रही है।
वक्त के हिसाब से देते हैं प्रशिक्षण-
डॉग ट्रेनिंग में शामिल एक अधिकारी ने कहा, 'हमें उन्हें वक्त के हिसाब से ट्रेनिंग देनी पड़ती है। नई ट्रेनिंग तकनीक में ऐसी चीजें उन्हें सिखाई जाती हैं, जिससे वो कन्फ्यूज न हों। उन्हें कई चीजों में निपुण किया गया है और यही वजह है कि माओवादी सहमे हुए हैं।Ó
7 सौ श्वानों का स्क्वॉड है तैनात, बढाएंगे तादाद-
माओवादी जोन में मुख्य फोर्स के रूप में तैनात सीआरपीएफ इन कुत्तों की संख्या दोगुनी करने जा रहा है। इस वक्त उसके पास 700 कुत्तों का स्क्वॉड है जिसे वह 1400 करना चाहती है। जिससे नक्सली इलाके में उन्हें ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके। अधिकारियों और जवानों के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ये कुत्ते दुर्गम हालात में भी डटे रहते हैं।


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