रूसी नेवी की किलर डॉल्फिन्स

समुद्र में दुश्मन की काल बनेगी मौत की मछलियां- फ्लायर

आर.पी. सिंह
रायपुर।
समुद्र में किसी भी बड़े अभियान की हवा निकालने के लिए रूसी नेवी ने अपनी किलर डॉल्फिन्स की पूरी बटालियन तैयार कर रखी है। घातक हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक्स के साजो- सामान से लैस ये मछलियां जासूसी से लेकर दुश्मनों की पनडुब्बियों और युध्दपोतों तक को ठिकाने लगाने का काम बखूबी करेंगी। इनके शरीर में इम्प्लांट किए गए दूर संवेदी उपकरणों के माध्यम से ये अपने कंमांडिंग रूम से जुड़ी रहेंगी। सेंट्रल कमांड के एक इशारे पर ये पानी के अंदर ही अंदर दुश्मानों के युध्दपोतों और सबमैरीन्स को खा$क कर देंगी।
कैसे हुआ खुलासा-
 इसके लिए 5 बटल नोज डॉल्फिन्स के लिए  निविदा जारी की गई है।  ये निविदा जी ओ एस जेड ए के यू पी ओ के डॉट आर यू नामक वेब साइट पर बाकायदा जारी की गई है।
क्या है मछलियों की योग्यता-
इसके लिए  तीन से पांच साल उम्र की 2.3 मीटर से 2.7 मीटर लंबाई वाली बॅटल नोज डॉल्फिन्स को  उपयुक्त माना जाएगा। चयनित होने पर प्रति मछली बाकायदा 3500 ब्रिटिश पाउंड की रकम भी दी जाएगी। इसके लिए 2 मादा और 3 नर डॉल्फिन्स की खरीदी की जाएगी।
बस एक आदेश और दुश्मन खल्लास-
समुद्र में आम मछलियों की तरह ही तैर रही इन मौतों से अनभिज्ञ युध्दपोत और सबमैरीन्स पर तैनात कमांडोज को इस बात की जरा भी भनक नहीं लग पाएगी, कि अगले पल उनके साथ क्या होने वाला है? उधर कमांड ऑफिस से एक गुप्त संदेश मिला कि 40 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ये फौज अपने लक्ष्य पर झपटेगी। इसके बाद बस एक जोरदार धमाका और दुश्मन खल्लास।
पानी के अंदर उतरे सील कमाडोज पर भी पड़ेंगी भारी-
अमेरिका को अपने जिन सील कमांडोज पर गर्व है, ये डॉल्फिन उन पर भी पानी में भारी पडऩे वाली हैं। इनको इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इनके पास मौजूद घातक हथियार और तेज धारदार चाकू इसी के लिए दिया गया है। अपने इन्हीं हथियारों के बूते ये सील कमांडोज को भी पलक झपकते ही मौत के घाट उतार देंगी, और किसी को भी कानोकान खबर तक नहीं होगी।
चिल्का झील और चंबल नदी में पाई जाती है बॅटल नोज डॉल्फिन-
दक्षिण भारत की चिल्का झील में बॅटल नोज डॉल्फिन्स की काफी बड़ी तादाद है। यहां पाई जाने वाली डॉल्फिंस सिर्फ यहां जाने वाले पर्यटकों का मनोरंजन भर करती हैं। इसके अलावा ये मध्य प्रदेश की चंबल नदी में भी पाई जाती हैं। स्थानीय भाषा में इनको यहां सूंस मछली कहा जाता है।




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