अंत की ओर अंतागढ़ कांड
पहले गलती और फिर पलटी मारने में लगे नेता
अंतागढ़ सीडी कांड अब लगभग आखिरी सीढ़ी पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। जो कभी कार्रवाई होने के नाम पर पलथी मारे बैठे थे, वही अब पलटी मारने पर तुले हैं। एक मेल ने सीडी कांड का सारा खेल बिगाड़ दिया। मुख्य सचिव की जांच के दस्तावेजों से मामला नदारद, उधर भूपेश के इकरार पर फिरोज सिद्दकी का इनकार,अमित जोगी से सियासी तकरार। पीसीसी अध्यक्ष जप रहे आपसी एकता का मंत्र और अब होता दिखाई दे रहा है अंतागढ़ कांड का अंत। अजीत जोगी ने पहले ही कह दिया कि फिर तो मामला ही नहीं बनता।
रायपुर।
अपना जोर दिखाने अजीत जोगी अपने समर्थकों के साथ जा पहुंचे दिल्ली। तो वहीं सोमवार को दोपहर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद संसद भवन में अपने काम में लगे बताए गए। मिलने की कवायद चल रही है। इधर राज्य की सियासत नेताओं के पलटी मारने से एक अजीब मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है। यहां अब अजीत जोगी का पलड़ा भारी होता दिखाई दे रहा है। उनके साथ प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान और निवर्तमान मिलाकर 22 शामिल बताए जाते हैं।
कठघरे में भूपेश की एकता-
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल राज्य की कांग्रेस कमेटी में आपसी एका का दावा करते आ रहे हैं। वहीं आलम ये है कि कांग्रेसी कुनबे के अधिकांश विधायक अजीत जोगी खेमे के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। तो ऐसे में तो संशय पैदा होना स्वभाविक है।
पहले पलथी बाद में पलटी-
जब तक प्रदेश के मुख्य सचिव केंद्रीय चुनाव आयुक्त को अपनी रिपोर्ट नहीं भेजे थे, तब तक तो सबकुछ सामान्य था। जैसे ही उनकी रिपोर्ट दिल्ली गई। कि इधर फिरोज सिद्दीकी ने एक मेल कर सारा खेल बिगाड़ दिया। इसमें कहा गया कि सीडी में उनकी आवाज नहीं है।
सीडी को लेकर संशय-
एक ओर अमित जोगी कहते हैं कि सीडी में उनकी और उनके परिवार के किसी भी व्यक्ति की आवाज नहीं है। दूसरी ओर इस कांड का सर्वेसर्वा फिरोज सिद्दीकी ने भी ये कह कर सनसनी फैला दी कि आवाज मेरी नहीं है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर एक बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। उनको अब ये प्रमाणित करना होगा कि जिस सीडी की विश्वसनीयता को लेकर वे रायपुर से दिल्ली तक उछल कूद मचाए हुए थे उसमें किसकी आवाज है?
उल्टा फंसा पेंच-
जब आवाज ही सही नहीं है तो फिर अमित जोगी पर हो कार्रवाई की गई वह क्यों? इस सवाल का जवाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को केंद्रीय कमेटी को देना होगा। इसमें प्रदेश के प्रभारी हरिप्रसाद को भी कठघरे में खड़ा होना पड़ेगा इसमें दो राय नहीं है।
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