नान के घमासान में फंसी बाबुओं की जान




 नान के घमासान में प्रबंधक और बाबुओं की जान पर बनती नज़र आ रही है। आईएएस ने जहां खुद को बताया पाकसाफ तो वहीं सीएम ऑफिस से जुड़े लोगों को खुद ईओडब्ल्यू ने कर दिया माफ। तो वहीं इसकी गाज़ विभाग के प्रबंधक शिवशंकर भट्ट सहित 16 कर्मचारियों पर गिरी। इनके खिलाफ कोर्ट में पेश की गई चार्जशाीट।  अब अनिल टुटेजा की मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी ने मामले को गरमाया। ऐसे में सीधा सा सवाल उठता है कि जब तमाम रसूखदार लोग निर्दोष तो फिर क्या ये सिर्फ मैनेजर और बाबुओं की साजिश है? 
रसूखदारों को ईओडब्ल्यू ने ही थमाई थी क्लिनचिट
आईएएस भी खुद को पाकसाफ बता रहे


रायपुर। बहुचर्चित नान घोटाला क्या काल्पनिक है? नान के तत्कालीन डॉयरेक्टर अनिल टुटेजा के बयान के बाद तो ये सवाल और भी मुखरता के साथ उठने लगा है। विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला खुद को पहले ही पाकसाफ घोषित कर चुके हैं। छापे में मिली कथित डायरी में जिन मंत्रियों और सीएम हाउस तक का जिक्र था, जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू ने खुद ही इन्हें क्लीनचिट दे दी थी। बचे दोनों आईएएस, इन्होंने भी खुद को निर्दोष करार दे दिया है। एक ने तो इस पूरे घोटाले को ईओडब्ल्यू के अफसरों की आपसी खींचतान तक करार दे दिया। ऐसे में ये सवाल लाजमी तौर पर उठने लगा है कि क्या नान का हजारों करोड़ का घोटाला केवल एक काल्पनिक घोटाला है? और यदि घोटाला है भी तो क्या इसे मैनेजर और बाबुओं ने मिलकर अंजाम दिया? क्योंकि इस घोटाले का पूरा दारोमदार अब तक केवल इन्हीं मैनेजर और बाबू लोगों के मत्थे ही मढ़ा गया है!
पीडीएस की हुई किरकिरी-
पिछले साल जब ये घोटाला सामने आया था, तब रमन सरकार की देश भर में खासी किरकिरी हुई थी। जिस पीडीएस और सस्ता चावल योजना को लेकर रमन सरकार ने देश भर में वाहवाही लूटी थी, उसी योजना से जुड़ी एजेंसी में हजारों करोड़ के घोटाले और इस घोटाले में तमाम रसूखदारों के नाम आने से ये सरकार बैकफुट पर चली गई थी। घोटाले की जांच में ईओडब्ल्यू को जो डायरी मिली थी, उस डायरी में सीएम हाउस सहित प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों, एक पूर्व मंत्री, तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला, डॉयरेक्टर अनिल टुटेजा सहित तमाम रसूखदारों से जुड़े लेन-देन के कथित जिक्र थे।
मामला खुला तो इसकी आंच और भी कई लोगों तक फैली। विभागीय नजर आ रहे इस घोटाले को उक्त डायरी ने हाईप्रोफाइल बना दिया था। रायपुर से लेकर दिल्ली तक हंगामा बरपा।
ईओडब्ल्यू का मायाजाल
सरकार खामोश रहकर खुद के बैकफुट पर जाने का संकेत देने लगी थी। हालातों से ये उम्मीद बंधी कि नान में भष्ट्राचार के जो कीड़े हैं, उनसे छत्तीसगढ़ को मुक्ति मिलेगी, पर ऐसा नहीं हो सका। सरकार खामोश रहकर काम करती रही। नतीजा ये निकला कि ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में  दोनों मौजूदा मंत्रियों, एक पूर्व मंत्री सहित सीएम हाउस को क्लीनचिट दे दी।
प्रबंधक  सहित 16 कर्मचारियों पर अदालत में केस-

 वहीं नान के मैनेजर शिवशंकर भट्ट सहित 16 कर्मचारियों को प्रथम द्रष्टया बलि का बकरा बनाते हुए इनके खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
दोनों आइएएस के बचाव में उतरी सरकार-
चूंकि आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर हैं, लिहाजा इनके खिलाफ अभियोजन के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई। वहीं ईओडब्ल्यू के चालान से राहत महसूस कर रही राज्य सरकार ने ये कहते हुए इनके विरुद्ध चालान पेश करने की अनुमति नहीं दी कि ये केंद्र सरकार के अधीन हैं, लिहाजा पहले उनसे अनुमति लेनी पड़ेगी। ईओडब्ल्यू ने पिछले साल 17 लोगों को खिलाफ चार्जशीट पेश किया था। और तकरीबन उसी समय राज्य सरकार ने शुक्ला और टुटेजा के खिलाफ अभियोजन की अनुमति के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। फिलहाल तक वो अनुमति नहीं मिली है। चार्जशीट के बाद अब पूरा मसला अदालत में है।

सीएम को लिखे पत्र ने फिर से गरमाया मामला-
छत्तीसगढ़ के हर घोटाले की तरह इस घोटाले पर भी विपक्ष ने भी चुप्पी साध ली थी। इधर, इस बीच मामले के एक अभियुक्त अनिल टुटेजा ने सीएम डॉ. रमन सिंह को पत्र लिखकर मामले को फिर से गर्म कर दिया। टुटेजा के पत्र में जिन मार्मिक शब्दों का उल्लेख किया गया है, उससे उनकी व्यथा स्पष्ट हो रही है। उन्होंने तो खुद के फंसाए जाने का हवाला देते हुए इस पूरे घोटाले को ईओडब्ल्यू के अफसरों की आपसी खींचतान का नतीजा करार दे दिया। अब टुटेजा के इस पत्र के बाद नान घोटाले को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।
ये घोटाला है भी या नहीं-
 जनसामान्य में ये चर्चा है कि यदि दोनों मंत्रियों और पूर्व मंत्री को खुद ईओडब्ल्यू ने क्लीनचिट दे दी है, ईओडब्ल्यू ने ही सीएम हाउस को बेकसूर ठहरा दिया है, और मामले से जुड़े दो प्रमुख आरोपियों में से आलोक शुक्ला खुद को पाकसाफ बता रहे हैं, साथ ही दूसरे आरोपी टुटेजा ने भी इस घोटाले को ईओडब्ल्यू के अफसरों की आपसी खींचतान का नतीजा करार दे दिया है, तब  ये घोटाला है भी कि नहीं...? यदि चार्जशीट को आधार मानें तो क्या ये घोटाला केवल मैनेजर और बाबुओं की कारस्तानी है! दोनो आईएएस के खिलाफ अभियोजन की अनुमति न मिलने से भी 'भ्रष्टाचार मुक्त भारतÓ और 'क्रेडिबल छत्तीसगढ़Ó के दावों की पोल खुलती है।
बॉक्स-
भट्ट ने किए थे खुलासे
नान के मैनेजर शिवशंकर भट्ट के स्टिंग से भी कई खुलासे हुए थे। नान घोटाले के प्रमुख आरोपी भट्ट ने अपने इस खुलासे में कई सत्ता और प्रशासन से जुड़े कई रसूखदारों के नाम लिए थे। इनमें से ज्यादातर वही नाम थे, जिनका ईओडब्ल्यू के द्वारा डायरी में जिक्र होने का हवाला दिया जाता है। बावजूद ईओडब्ल्यू ने केवल भट्ट सहित अन्य 17 लोगों को आरोपी बनाया। जिन नामों का जिक्र डायरी में था, और अपने स्टिंग में जिनका जिक्र भट्ट ने किया था, उनमें से ज्यादातर को ईओडब्ल्यू ने अपनी अंदरुनी जांच में क्लीनचिट पकड़ा दी।
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स्थिति गंभीर, सीबीआई जांच जरूरी: बघेल
पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि अनिल टुटेजा के द्वारा खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाए जाने के बाद ये मामला और भी गंभीर हो गया है। चूंकि ईओडब्ल्यू सीधे सीएम को रिपोर्ट करता है, ऐसे में स्थिति गंभीर है। लिहाजा ये लाजमी है कि पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच हो, ताकि ये सच स्पष्ट हो सके।

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