-विस्फोट की चोट


अनीस  दम का भरोसा नहीं संभल जाओ, चरा$ग लेके कहां सामने हवा के चले।


बस्तर की धरती पर पिछले 48 घंटों के दौरान लगातार 3 धमाके हुए दो में एक बच्ची और एक महिला की जान गई। इन्हीं धमाकों में दो महिलाएं घायल बताई जा रही हैं। वहीं तीसरा धमाका बीजापुर के पास एनएच पर उस वक्त हुआ, जब नक्सली सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने की नीयत से एक आईईडी लगा रहे थे। अचानक लापरवाही के चलते उसमें विस्फोट हो गया। इस धमाके में वहां मौजूद लोगों के चीथड़े हवा में उड़ गए।  पुलिस मरने वाले माओवादियों की तादाद 5 के आसपास बता रही है। हालांकि इतने बड़े धमाके के बाद भी वहां सिवाय खून के छींटों और लाशों के घसीटे जाने के निशानों के सिवा कुछ भी नहीं मिला । हालांकि नक्सलियों की ये पुरानी चाल है कि जब उनके लोग मारे जाते हैं तो ये लोग मौके से उनकी मृतदेह उठा ले जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि पुलिस को कोई सुराग न मिले।
सड़कों के भीतर आईईडी लगाने की तकनीक नक्सलवादियों ने श्रीलंका में जाकर लिट्टेइयों से सीखी है। ये वही तकनीक है जिसने श्रीलंका को आजाद करवाने में वहां की फौजों को भारी नुकसान पहुंचाया था। बाद में लिट्टे से ये तकनीक माओवादियों ने सीखी और इसका उपयोग झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़ जैसे माओवाद प्रभावित राज्यों में धड़ल्ले से होने लगा। ये तकनीक भी खूब चल निकली। तारीखें गवाह हैं कि इस तकनीक ने जितना नुकसान सुरक्षा बलों को पहुंचाया है। उतना तो पिछले 10 सालों में नहीं हुआ।
ऐसे में सुरक्षा बलों को चाहिए कि वो ऐसे संसाधनों का विकास करें, जो समय रहते ऐसे खतरों को भांपकर सुरक्षाबलों को अलर्ट कर दे। बताया गया कि ये बम सौ फुट नीचे लगाया जा रहा था। जब कि एक विस्फोटक सूंघने वाले प्रशिक्षित श्वान की घ्राण क्षमता महज 6 से 8 फुट तक ही बताई जाती है। ऐसे में ये विस्फोटक हमारे सुरक्षाबलों को कितना नुकसान पहुंचाते इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
इस धमके से नक्सलियों को संभवत: कुछ समझ में जरूर आया होगा कि अपनों के अचानक इस तरह मारे जाने का दर्द कैसा होता है? दूसरी बात ये भी कि बारूद से आज तक किसी का घर नहीं बसा। अलबत्ता ये घरों को उजाडऩे का ही काम करती है। इस लिए जहां तक हो सके हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें, क्योंकि कोई कितना भी ताकतवर क्यों न हो जाए। देश और समाज से ज्यादा देर तक दूर नहीं रह सकता। अपने देश का आदर और कानून का सम्मान करें, उसके प्रति ईमानदार और एक जिम्मेदार नागरिक बनें।

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