-खरीदी दाल का कमाल
जिसके आंगन में अमीरी का शज़र लगता है, उसका हर ऐब जमाने को हुनर लगता है।
छत्तीसगढ़ को वर्ष 2015 में दलहन के अत्यधिक उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने चौथी बार कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा है। राज्य की 2.55 करोड़ जनता की ओर से देश के विद्वान प्रधानमंत्री को आभार। जिन्होंने उस राज्य को कृषि कर्मण सम्मान दे मारा, जिसके बाजारों में उसी वर्ष 2 सौ रुपए किलो में दाल बिकी। तमाम हो हल्ला मचने के बाद जब खाद्य विभाग की टीम ने जाकर जमाखोरों के गोदामों पर छापा मारा तो वहां का नजारा देखने लायक था। कई हजार क्विंटल दाल इन गोदामों में मिली। इसके बाद आक्रोशित जमाखोरों की महज एक घुड़की पर सरकार की घिग्घी बंध गई। इसको कहते हैं रसूख। जैसे ही व्यापारियों की ओर से घुड़की आई तत्काल बंद हो गई छापामार कार्रवाई। इसके बाद इस मामले को दबा दिया गया। तो वहीं सरकार ने दावा किया था कि इस जब्त दाल को वो गरीब जनता को पीडीएस के माध्यम से बेचवाएगी। कई राशन दुकानों में दाल भी रखवाई गई थी। ये दीगर बात है कि उसकी गुणवत्ता क्या थी इसको देखने वाला शायद कोई नहीं था। उसी समय राज्य सरकार ने ये भी दावा किया था, कि अब राज्य सरकार दाल की खरीदी करेगी और बाजारों में दालों का अभाव किसी भी कीमत पर होने नहीं दिया जाएगा। वहीं छापेमारी से नाराज दलालों ने कहा कि हम भी देखते हैं कि सरकार कैसे दाल बाजार में उपलब्ध करवाती है? इस बात को लेकर खासी खींचतान देखने को मिली थी। उसी साल पूरे प्रदेश में 443 किसानों ने आत्महत्या भी की थी। ऐसा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के दस्तावेज कहते हैं। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कृषि रकबे में भी कमी आई है। अगर देखा जाए तो ऐसे राज्य को कृषि कर्मण पुरस्कार देकर देश के प्रधानमंत्री आखिर क्या साबित करना चाहते हैं? तो वहीं ये गंभीर चिंतन का विषय है कि खरीदी हुई दाल को राज्य का कृषि उत्पादन बता कर राज्य सरकार और उसके विद्वान मुखिया क्या बताना चाहते हैं? लोग तो यहां तक कहते फिर रहे हैं कि ये खरीदी दाल का कमाल है।
ऐसे ईनामों को देकर आखिर केंद्र सरकार क्या साबित करना चाहती है? राज्य सरकार के अधिकारी जो बिना कुछ किए सिर्फ आंकड़ों के घोड़े दौड़ा कर सातवें वेतनमान की गुहार लगाते हैं, क्या यही उनका परफार्मेंस है? इससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार के आंकड़े किसी भी दशा में विश्वास करने लायक नहीं हैं, और इन पर विश्वास करना सबसे बड़ी भूल होगी। ये केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश की 2.55 करोड़ जनता के साथ किया गया छल है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को प्रदेश की जनता और किसानों से विशेषतौर पर माफी मांगनी चाहिए।
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