जनता की सीधी सी बात, भ्रष्टाचारियों की सम्पत्ति हो राजसात





 देश के चौकीदार प्रधानमंत्री मोदी का था ये विचार, कि न खाएंगे और न खाने देंगे। बाद में उन्होंने ने भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उसी तथ्य को माना, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र से जाने वाले एक रुपए का महज पंद्रह पैसा सही जगह पहुंच पाता है। ऐसे में देश में बढ रहे भ्रष्टाचार का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। रायपुर की है ये खुली राय कि बन्द होनी चाहिए ये अन्य आय। बुध्दिजीवियों ने कही ये दो टूक बात कि भ्रष्टाचारियों की सम्पत्ति हो राजसात। उसमें खोले जाएं अस्पताल और स्कूल ताकि घूस लेने वाले जाएं भ्रष्टाचार को भूल। ऐसे मामलों को निपटाने में देरी न करें फिजू़ल।



रायपुर। छठवां वेतनमान देने वाली सरकार ने अधिकारियों की आय तो तय कर दी मगर जो असल में तय करना था उसे भूल गई। इसी लिए सारी व्यवस्था लापरवाही के झूले में झूल गई। लोक की सेवा के लिए बनाया गया तंत्र ही अब लोक को लतिया रहा है। जो उसकी जेब गर्म कर दे उससे हंस-हंसकर बतिया रहा है। हर काम का उसको चाहिए होता है दाम, सरकारी व्यवस्था इसी लिए होती जा रही है धड़ाम। अमीर को जिस दफ्तर में अधिकारी खीर खिलाते हैं, गरीब से उसी दफ्तर के चक्कर लगवाते हैं।
सरकार तय करे जिम्मेदारी का पैमाना-
राजधानी के बुध्दिजीवी वर्ग का कहना है कि सरकार वेतन तो बढ़ाए मगर संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी और ईमानदारी का पैमाना भी निर्धारित करे। अधिकारी समय पर दफ्तर में आएं, सारे कामों को ईमानदारी से निपटाएं बदले में छठवां वेतनमान ले जाएं।

रायपुर वासियों की  राय -
सम्पत्ति कर बढ़ाकर ऐश करने वाली सुराज की सरकार के राज में भी जमकर बढ़ा भ्रष्टाचार। ऐसे में प्रदेश की जनता ने कही सीधी सी बात कि भ्रष्टाचारियों की सम्पत्ति हो राजसात। यही नहीं लोग आगे आएं और ऐसे लोगों के खिलाफ ये आवेदन भी अदालत में लगाएं कि जिससे जब तक उनका मामला न्यायालय में रहे विचाराधीन, आरोपी को रखा जाए धन और भवनहीन। मामले के निपटारे के बाद उस भवन को अस्पताल अथवा स्कूल में कर दिया जाए तब्दील, ताकि गरीब बच्चों के चेहरे उठें खिल।

एक साल में 57 छापे-
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पिछले एक साल में एसीबी ने कुल 57 छापे मारे और बड़ी संख्या में लोगों के चालान न्यायालय में पेश किए। विभाग की चौकसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक प्रदेश में पिछले 15 साल में इतने छापे नहीं पड़े। विश्वस्त सूत्रों का तो ये भी दावा है कि जैसे ही कोई शिकायत इनके पास आती है उसकी पूरी पड़ताल की जाती है। इसके बाद बिना समय गंवाए तत्काल कार्रवाई को अमलीजामा पहनाया जाता है।
बढ़ते भ्रष्टाचार पर लोगों के विचार-
वो चाहे नेता, अभिनेता, अधिकारी अथवा कोई भी हो। अगर उसके पास बेनामी संपत्ति मिलती है तो उसको तत्काल राजसात किया जाना चाहिए। मामले के निपटारे के बाद उसके भवन का उपयोग स्कूल-अस्पताल जैसे कल्याणकारी कार्यों के लिए किया जाना श्रेयष्कर रहेगा।
राजेश जैन राही
कवि
सरकार की जो अथारिटी इन मामलों को देखती है। वो अगर ऐसा फैसला लेती है तो इसका स्वागत है। ऐसे मामलों पर सरकार को प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।
धरमलाल कौशिक
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
भाजपा सरकार अमीरों और व्यापारियों की सरकार है। वो कभी भी ऐसा नहीं कर सकती, अगर रमन सरकार में हिम्मत है, तो वो ऐसा करके दिखाए।
अजीत जोगी
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता

राजसात होना चाहिए। मेरी जानकारी में प्रदेश में ऐसा कानून बन चुका है। हालांकि मुझे कुछ संशय है, मैं एक बार कन्फर्म करके देख लेता हूं।
टीएस सिंहदेव
नेता प्रतिपक्ष
विधान सभा
मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। मैं बिना देखे कुछ भी नहीं कह पाऊंगा।
भूपेश बघेल
अध्यक्ष प्रदेश कांगे्रस
जनता की क्या हो भूमिका-
इस मामले में अधिवक्ता सैय्यद अफ्दाल हुसैन का कहना है कि जैसे ही किसी अधिकारी अथवा नेता या मंत्री पर चल रहे भ्रष्टाचार का मामला अदालत में जाता है। जनता को चाहिए कि वो वहां एक आवेदन लगाए कि जब तक ये मामला न्यायालय में विचाराधीन रहे। आरोपी इस संपत्ति का उपयोग न करने पाए। ऐसे में वहां पर अदालत सरकारी ताला लगवा देगी। इसके बाद अदालती कार्रवाई पूरी होने के बाद ही इसके राजसात की कार्रवाई अदालत करेगी।

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