अफगानिस्तान के खान की फुटपाथ पर दुकान





 न कोई वैध डिग्री न फार्मेसी का परमिशन, राजधानी के टिकरापारा के फुटपाथ पर धड़ल्ले से चल रही अफगानिस्तान के खान की दवाई की दुकान। जहां लुट रहा गरीब और पुलिस नहीं दे रही है ध्यान। इतने पर भी नहीं रहा है जाग प्रदेश का खाद्य एवं औषधि विभाग। सबसे अहम सवाल तो ये कि आखिर राज्य का स्वास्थ्य विभाग कहां सो रहा है? क्या उसको किसी बड़े हादसे का इंतजार है? मगर इन सबसे पहले तो राजधानी की पुलिसिंग पर सवाल उठते हैं। नक्सलवाद प्रभावित राज्य की राजधानी में कोई ऐसे आकर आखिर कैसे रह सकता है? जब कि पुलिस ने ही नियम बनाया था कि हर घर में रहने वाले नौकर, किराएदार और दूसरे लोगों की पूरी जानकारी पुलिस को देनी होगी। पर इसके बाद खुद पुलिस ही अपने बनाए नियमों का पालन नहीं कर रही आखिर क्यों?

शर्तिया इलाज का दावा, वो भी तथाकथित जड़ी-बूटियों के सहारे

रायपुर-

मापदंड दरकिनार
अफगानिस्तान से आए व्यापार के उद्देश्य से लोगों की खाद्य समाग्रियों  की जांच नहीं की गई। बिना जांच की दवाइयों के नाम पर विभिन्न चीजों की बिक्री की जा रही है। इस बात से खाद्य विभाग बिल्कुल अंजान है। इस तरह बिना जांच के वस्तुओं की बिक्री ये साफ जाहिर करती है कि, राजधानी के लोग कितने सुरक्षित हैं।
पिछले पांच दिनों से सज रहा बाजार
आश्चर्य की बात तो यह है कि, पिछले पांच दिनों से टिकरापारा थाना क्षेत्र के पास अफगानियों की दुकानें लग रही थीं, लेकिन पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी। पास में ही खड़े ट्रैफिक पुलिस को भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा रहा था। किसी ने भी रोड पर चल रही खुलेआम इन दुकानों को बंद कराने की कोशिश भी नहीं की।
हमारी सरकार ने दी पुलिस को सूचना
ट्रैफिक नियमों का सरेआम मखौल उड़ाने वाले अफगानिस्तान से आए लोगों की सूचना हमारी सरकार ने टिकरापारा पुलिस को दी। साथ ही यह भी बताया कि पिछले कई दिनों से इन लोगों के व्दारा बीच सड़क में संदिग्ध समाग्रियां बेची जा रही हैं।
राजधानी में ये हाल तो बाकी जिले रामभरोसे
सुरक्षा की बड़ी-बड़ी दावे करने वाली पुलिस की सच्चाई सामने आ गई है। नाक के नीचे विदेशियों व्दारा विभिन्न संदिग्ध वस्तुओं की बिक्री की जा रही है। लेकिन पुलिस का अमला इस चीज से बिल्कुल बेखबर है। यदि राजधानी रायपुर में ये हाल है तो बाकि अन्य जिलों में सुरक्षा की क्या स्थिति होगी इस बात का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।
ठंडे बस्ते में विदेशी नागरिक निरीक्षक
विदेशी नागरिकों के निरीक्षण हेतु विदेशी नागरिक निरीक्षक का गठन किया गया है। जो पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चला गया।
असल ड्यूटी से भटकी  पुलिस
रोड किनारे चल रही दुकानदारी की जानकारी जब पास ही खड़े पुलिस वाले को दी गई तो उसने कुछ भी कार्रवाई करने में असमर्थता जताई। चौक-चौराहों में खड़ी होने वाली पुलिस उगाही करने में ज्यादा व्यस्त रहती है। इसके कारण असल मुद्दों को दरकिनार करती चली जा रही है।
हादसों का सबब बन सकती है लापरवाही
भारत में जरा सी लापरवाही के चलते न जाने कितने ही बड़े-बड़े हादसे हुए हैं। वो चाहे 26/11 का आतंकी हमला हो या मुम्बई में हुए सीरियल बम धमाके। इन घटनाओं से न जाने कितने जान-माल की हानि हुई है। फिर भी पुलिस विभाग ऐसे संदिग्धों को देखकर भी नजरअंदाज करता है।  जरा सी चूक किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकती है।
सामने है होली का त्यौहार
भारत का एक बड़ा त्यौहार है होली ,जो महज कुछ दिनों में ही आने वाला है। ऐसे में इस तरह विदेशियों की घुसपैठ किसी अनहोनी को न्यौता दे

सकती है। व्यापार के नाम पर किसी आतंकी हमले की साजिशें भी रची जा सकती है।
थाना प्रभारी ने जवाब देने से किया इंकार
हमारी सरकार अखबार के संवाददाता ने जब इस पूरे मामले को लेकर टिकरापारा थानाप्रभारी पृथ्वी दुबे से जानकारी मांगने की कोशिश की तो उन्होंने इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। साथ ही अपने आप को इस मामले से दूर ही बताया।
अनहोनी का कौन होगा जिम्मेदार
इस घटना की सूचना जब टिकरापारा पुलिस को दी गई तो उन्होंने ये कह कर मामले का मजाक उड़ाया की अफगानिस्तान भारत का मित्र देश है। सवाल ये उठता है कि, इसी तरह मामले की गंभीरता को नजरअंदाज कर दिया जाएगा तब, किसी अनहोनी के होने पर जिम्मेदार कौन होगा? पुलिस ही जब संदिग्धों की जांच-पड़ताल नहीं करेगी तो हादसे होना लाजिमी है।
वर्जन
जांच-पड़ताल की जाएगी
इस तरह अफगानिस्तान के लोगों के द्वारा सामग्री बेचने की सूचना पुलिस को नहीं थी। मामले की पूरी जांच-पड़ताल की जाएगी कि उन्होंने नजदीकी थाना क्षेत्र में कोई सूचना दी थी या नहीं।
                                                 नीजर चंद्राकर
                                                एडिशनल एसपी

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