अमित का बहाना बृजमोहन पर निशाना



कौशिक ने अमित की आड़ से छोड़ा बृजमोहन पर तीर
सियासत में एक तीर से दो शिकार करने की पुरानी परंपरा रही है। कुछ ऐसा ही उस दिन विधान सभा में देखने को मिला,जब विधायकों की वेतन वृध्दि मामले पर विधायक अमित जोगी के विरोध पर राज्य के कृषि मंत्री की जुबान फिसल गई। उन्होंने न सिर्फ वेतन वृध्दि का समर्थन किया,बल्कि युवा विधायक अमित जोगी के लिए यहां तक कह डाला कि नया मुर्गा ज्यादा बांग देता है। तो वहीं अमित की बात कर समर्थन करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अमित जोगी के पत्र पर विचार करने का मश्वरा दिया। इससे धरमलाल कौशिक ने अमित के बहाने ही कृषि मंत्री को निशाने पर लिया। कहा तो ये भी जा रहा है कि प्रदेश के कृषिमंत्री के दिन काल कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं।


रायपुर। प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी में सबकुछ ठीकठाक  नहीं चल रहा है। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब विधायकों के वेतन का विरोध कर रहे अमित जोगी के समर्थन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी खुलकर सामने आ गए। मजेदार बात तो ये है कि उसी अमित जोगी की बात का विरोध कर रहे प्रदेश के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल प्रदेश के 443 किसानों की मौत का कौन कहे मातम मनाने को। उल्टे विधायकों की वेतन बढोत्तरी करने और सरकारी खजाने को चूना लगाने पर तुले हैं। सूखे से चौपट हुई किसानों की धान की फसल और फिर हाल ही में दलहन और तिलहन की फसलों पर पड़े ओले। इस पर भी विधान सभा में कृषि मंत्री कुछ नहीं बोले। इस साल के महज तीन महीनों में भी सवा सौ से ज्यादा किसाना की चिताओं की ठंडी नहीं हो पाई है राख, मंत्रियों की लगी है एक लाख पर आंख।

बृजमोहन  के लिए भी खतरे का संकेत-
भाजपा अध्यक्ष ने अमित जोगी के फैसले का समर्थन करके एक ओर जहां बृजमोहन अग्रवाल को भी संकेत  दे दिया है कि वे उनकी बात का समर्थन नहीं कर सकते। तो वहीं प्रधानमंत्री के दौरे के वक्त भी कृषि मंत्री का कटा-कटा सा रहना इसी बात को पुष्ट करता है। राज्य के मुखिया और राजेश मूणत तथा अमर अग्रवाल से कृषि मंत्री की ट्यूनिंग ठीक नहीं चल रही है। ये बात हर कोई जानता है। ऐसे में इन दोनों नेताओं की प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से नजदीकी बृजमोहन अग्रवाल के बढ़ते कद को नुकसान पहुंचा सकती है। यही नहीं हाशिए पर जा चुके अजय चंद्राकर को चुनाव जिताकर वापस लाना और लगातार एक पर एक मंत्रालयों का काम सौंप कर भी मुख्यमंत्री ने बृजमोहन के सियासी कद की काटने में किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी। कभी प्रदेश का दूसर मुख्यमंत्री कहे जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल की सियासी प्रतिष्ठा को इस दौर में जितनी चोट पहुंची है। शायद ही कभी लगी रही होगी। आलम ये है कि अब उनके आवास पर लगा रहने वाला मेला भी छंटता नजर आ रहा है।
इसकी पुष्टि नया रायपुर में नए ऑडिटोरियम के उद्घाटन समारोह में भी देखने को मिला था जब कृषि मंत्री को मंच पर जगह नहीं दी गई थी।
मोदी भूले नहीं है साल 2000 की घटना-
साल 2000 में जब वे नेता प्रतिपक्ष के  मनोनयन के लिए पर्यवेक्षक बनकर आए थे।  तो उस वक्त इन्हीं बृजमोहन अग्रवाल के समर्थकों ने एकात्म परिसर में जमकर तोडफ़ोड़ और आगजनी तक की थी। उस दौरान नरेंद्र मोदी ने टेबल के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई थी।
हालांकि उस वक्त नरेंद्र मोदी का कद उतना बड़ा नहीं था, मगर आज भी जब वे छत्तीसगढ़ के दौरे पर आते होंगे उनको अपनी वो दुर्दशा तो जरूर याद आती ही होगी। 




------------------------------------------------------------------------------------------------


Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव