अरे वाह रे... छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग




पुस्तक चलाओ पैसे कमाओ, हल्ला मचे तो तुरंत हटाओ

एंट्रो- राज्य के शिक्षा विभाग में बड़ी-बड़ी डिग्रियों के दम पर नौकरी करने वाले कितने ज्ञानी है। इसका उदाहरण कई बार मिल चुका है। पहले विवादित संत आसाराम की अश£ील किताब दिव्य ज्ञान, उसके बाद 11वीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में नेताजी सुभाषचंद्र बोस को उग्रवादी और अब गुरू बाबा घासीदास को हरिजन बता डाला। तीनों ही मामलों में हल्ला मचा तो किताबें वापस। करोड़ों के बजट और सातवें वेतनमान की मांग करने वाले विद्वानों के ज्ञान का स्तर किसी मुहल्ले के रिक् शे वाले से भी बदतर लगता है। इन किताबों को चला कर शिक्षा विभाग आखिर क्या साबित करना चाहता है? उससे भी महत्वपूर्ण सवाल तो ये है कि क्या ये शिक्षा के अधिकारों का हनन नहीं है? अगर है तो फिर इसके लिए शिक्षा विभाग ने क्या-क्या वैधानिक कदम उठाए? और अगर नहीं तो फिर शिक्षा विभाग ये बताए कि उसका राज्य के बच्चों ने आखिर क्या बिगाड़ा है जो उनके ज्ञान के साथ इतना बड़ा मजाक किया जा रहा है और वो भी क्यों?



आसाराम की अश£ील पुस्तकें-
राज्य के अधिकांश स्कूलों में विवादित संत आसाराम की अश£ील किताब दिव्य ज्ञान भी छात्र-छात्राओं को पढ़ाई जाती थीं। इसमें इतने बेहूदे किस्म के सवाल थे कि कोई भी शरीफ व्यक्ति अपने बच्चों से न तो ऐसी बातें कर सकता है और न ही सुनना पसंद करेगा। बाद में जब खबरें मीडिया में आई तो पुस्तकें चुपचाप स्कूलों से हटा ली गईं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बताया उग्रवादी-
 राज्य में ग्यारहवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान,सोशल साइंस की किताब में ऐसा ही लिखा गया है।
इस किताब के 103वें पन्ने में लिखा गया  है कि 33 साल की उम्र में वे कलकत्ता के मेयर और 1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।  बाद में महात्मा गांधी से मतभेद होने के कारण बोस ने कांग्रेस से अलग होकर फ़ॉरवर्ड ब्लॉक नामक राजनीतिक पार्टी का गठन किया।  सुभाष चंद्र बोस उग्रवादी थे।  नेताजी को उग्रवादी बताने वाली पुस्तक को लेकर कई लोगों ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की थी।  रायपुर कलीबाड़ी समिति और राज्य के बंगला भाषी लोगों की एक संस्था ने किताब में नेताजी को इस तरह प्रकाशित करने पर आपत्ति जताई, तो उन किताबों को भी तत्काल हटा लिया गया।
गुरुबाबा घासीदास को बताया हरिजन-
इसके बाद महान संत गुुरू बाबा घासीदास को एक किताब में हरिजन बता दिया गया। इस बात को लेकर प्रदेश के युवा विधायक अमित जोगी ने विरोध जताया। इसके बाद जब ज्यादा हो हल्ला मचा तो उनकी किताबों को भी हटाने का आदेश जारी कर दिया गया।  ये आदेश राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण ने ग्राम पंचायतों में संचालित लोक शिक्षा केंद्रों के पुस्तकालयों को जारी किया। ये आदेश 14 जिलों की समितियों को जारी किए गए हैं।
किन-किन जिलों को जारी हुए पत्र-
 जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, कोरबा, कोरिया, महासमुन्द, रायपुर, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद, कोण्डागांव, बिलासपुर, मुंगेली, रायगढ़, राजनांदगांव और कांकेर शामिल हैं।
वापस लेने का कारण भी बताया गया-
इस पुस्तक में गुरु बाबा घासीदास के जीवन परिचय में ÓहरिजनÓ शब्द के प्रकाशन की वजह से पुस्तक वापसी का निर्णय लिया गया है। यह शब्द शासकीय अभिलेखों में पहले से ही विलोपित किया जा चुका है। पुस्तक में इसके प्रकाशन को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन के निर्देश पर पुस्तक वापसी के निर्देश जारी किए गए हैं।
बच्चों के भविष्य से इतना बड़ा मजाक-
इस तरह के अधकचरे ज्ञान से एक ओर जहां बच्चों का भविष्य प्रभावित हो रहा है तो वहीं पूरे देश में राज्य के शिक्षा विभाग की भद्द पिट रही है। ऐसे में सवाल तो ये है कि आखिर गरीबों के बच्चों के साथ शिक्षा के नाम पर इतना  घटिया मजाक आखिर क्यों?
क्या ऐसे ज्ञानियों को सातवां वेतनमान दिया जाए-
सवाल तो यहां शिक्षा विभाग पर ही नहीं पूरी सरकार पर भी है जो इनको सातवां वेतनमान दे रही है। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या ऐसे ज्ञानियों को 7वां वेतनमान दिया जाना उचित है? इतना मोटा वेतन लेकर भी जो लोग ऐसी भयानक गलतियां करके बच्चों का भविष्य चौपट कर रहे हों उनको क्या मिलना चाहिए सजा या फिर सातवां वेतनमान?

क्या किसी को गलत शिक्षा देना शिक्षा के अधिकारों का हनन नहीं -
ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि क्या किसी को गलत जानकारी देना शिक्षा के अधिकारों का हनन नहीं है? अगर है तो फिर ऐसे गंभीर मामलों पर सरकार आखिर चुप्पी क्यों साध लेती है?
भूल और अपराध-
अनजाने में की गई गलती को भूल कहा जाता है।  भूल के लिए प्रायश्चित काफी होता है, लेकिन अगर वही भूल जानबूझकर की जाए तो ये अपराध कहलाता है। अपराध के लिए कानून में दण्ड का प्रावधान है। ऐसे में क्या इन लोगों को इनके अपराध के लिए दंड नहीं दिया जाना चाहिए?
वर्जन-
पुस्तकें वापस ले ली गई हैं, जांच की जा रही है और जिम्मेदारों पर कार्रवाई करेंगे।
सुब्रत साहू
सचिव शिक्षा विभाग
छत्तीसगढ़ शासन

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