सुराज के बहाने


दुखती रग पर उंगली रखकर पूछ रहे हो कैसे हो, तुमसे ये उम्मीद नहीं थी दुनिया चाहे जैसी हो।



संस्कृत में एक श£ोक है कि प्रिय वाक्य प्रवादनेन सर्वे तुष्यंति जांतव: तस्मात तदैव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता। अर्थात मीठी बात बोलने से जंतु भी खुश हो जाते हैं। इसलिए ठीक वैसा ही बोलिए, वाणी में भला क्या दरिद्रता। मुख्यमंत्री के सुराज में भी ठीक यही बात सामने आ रही है। एक ओर समस्याओं से जूझ रहा राज्य और उस पर सीएम का सुराज। मामला समझ से परे है। अलबत्ता इस बहाने जनता के ये बताने की कोशिश की जा रही है कि आपके मुख्यमंत्री आपसे सीधे जुड़े हैं। इसी लिए अब तक कई हजार किलोमीटर उडऩखटोले से उड़े हैं।  अब सुनने की असलियत तो ये है कि पिछले साल कई लोग सीएम हाउस के बाहर महज इस लिए जहर खा चुके हैं कि उनकी सुनवाई सीएम के जनदर्शन में नहीं हुई। अगर मुख्यमंत्री किसी काम को संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए निर्देशित करके भेज भी देते हैं तो राज्य के आलसी अधिकारी उसको दफ्तरों के इतने चक्कर कटवाते हैं कि उसे अपनी जिंदगी नर्क लगने लगती है।  कुछ साल पहले कलेक्टोरेट में ऐसे ही एक मामले में एक सेवानिवृत्त बुजुर्ग ने वहीं के पेंशन विभाग के एक अधिकारी को चाकू मारा था।
मुख्यमंत्री के पिछले सुराज के तमाम आदेशित आवेदन आज भी संबंधित अधिकारियों की आलमारियां में पड़े हुए हैं।
राज्य में अधिकारियों की ज्यादा चलती है। ऐसा इस लिए कहा जा सकता है कि पत्रकारों को मुख्यमंत्री से मिलाने का ठेका राज्य के एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी को दे दिया गया है। अब आलम ये है कि ये प्रशासनिक अधिकारी खुद को $खुदा समझने लग गए हैं। इनसे तमाम पत्रकारों ने अनुनय -विनय तक किया मगर साहब हैं कि किसी की नहीं सुनते। मुख्यमंत्री का पक्ष भी जानना हो तो भी इन्हीं की दख़्ाल वहां भी चलती है। ये बात राज्य के पत्रकार तबके को बहुत खलती है।
सीधे तौर पर अगर देखा जाए तो मुख्यमंत्री की अच्छी भली छवि को राज्य के ही कुछ अधिकारी चूना लगाने पर तुले हुए हैं। इससे समाज में नकारात्मक संदेश जा रहा है। अधिकारियों का क्या है उनका कोई  नुकसान नहीं होने वाला। उनके लिए तो कोई भी राजा हो उनका क्या उनकी नौकरी तो पक्की है ही। ऐसे में ये बात तो मुख्यमंत्री को समझनी होगी कि अगर उनके पास पत्रकार अथवा जरूरतमंद नहीं पहुंच पा रहे हैं तो इसके पीछे कौन-कौन अधिकारी हैं। उनसे इसका जवाब मांगा जाना चाहिए और यदि दोष साबित हो तो तत्काल प्रभाव से उन पर कार्रवाई भी हो, ताकि लोगों का राज्य की कानून व्यवस्था से उठ चुका विश्वास पुन: कायम हो सके ।


Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव