रिश्तों की डोर का मजबूत छोर है मां


जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है। 


मां शक्ति का स्वरूप है, सृष्टि की निर्माता है। बाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। अर्थात मां और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। हमारे देश में साल के 12 महीने में मां के 13 स्वरूपों की पूजा की जाती है। हमारे इतिहास में मां के बलिदानों की अनेकानेक कहानियां भरी पड़ी हैं। हम अपनी धरती को भी मां मानते हैं। ऐसे में उस पर किसी दूसरे का अतिक्रमण कतई बर्दाश्त नहीं करते। मां की जितनी भी बड़ाई की जाए वह बहुधा कम होगी।
यह भी अकाट्य सत्य है कि चोट बच्चे को बाद में लगती है मगर मां की चीख पहले निकल जाती है। पर कष्ट इस बात का है कि आज के उच्च शिक्षित बच्चे अपनी मां को वृध्दाश्रमों की ओर धकेलते जा रहे हैं। उनको ये समझना चाहिए कि मां आखिर मां होती है। पहले कम पढ़ी लिखी बहुएं आती थीं तो वे सास की खूब सेवा करती थीं। उनको ताउम्र सम्मान मिलता था, यही नहीं बहुओं को डांट- फटकार कर गृहस्थी के सारे हुनर सास ही सिखाया करती थी। बच्चों के पालन -पोषण से लेकर तमाम संस्कार दादी और दादा से ही मिला करते थे। मगर बदलते समय की जरूरतों ने इस बात को भी खत्म सा कर दिया है। अब तो बहू आते ही पूरे घर को अपना साम्राज्य समझने लगती है। ज्यादा हुआ तो दहेज एक्ट में फंसा कर सास-ससुर को सला$खों के पीछे ठेलवा देती है और खुद ऐश करती है। ऐसे तमाम मामले भी संज्ञान में आए हैं।
बंग्ला भाषा में एक कहावत है कि उपले को जलता देखकर गोबर हंसे? यहां भी वही बात लागू होती है। जो अपनी मां के साथ जैसा व्यवहार करता है उसके बच्चे भी उसके साथ उससे भी खराब व्यवहार करेंगे। ये मानकर चलिए। समाज में तेजी से परिवर्तन भी आ रहा है। तमाम परिवारों को मां की अहमियत समझ में आने भी लगी है। वे अब वृध्दाश्रमों से अपने परिजनों को वापस घर भी बुलाने लगे हैं। उनको ये पता चल गया है कि उनकी औलादें महज इसी लिए बिगड़ रही है क्योंकि उनके साथ बच्चों के दादा -दादी नहीं रहते। ऐसे में अब एहसास होने के साथ ही लोगों को मां बाप का मूल्य समझ में आने लगा है। ये अच्छी बात है समाज में ऐसे क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं। इसके अच्छे परिणाम भविष्य में आएंगे ऐसी कामना हम भी करते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव