पुलगांव के धमाकों का आतंकी कनेक् शन
शहीदों की ज़मीं है इसको हिन्दुस्तान कहते हैं , ये बन्जर होके भी बुज़दिल कभी पैदा नहीं करती ।
महाराष्ट्र के वर्धा स्थित पुलगांव के आयुध डिपो में भयावह आग लगने से 20 जवानों की शहादत और 19 से ज्यादा घायल होने के मामले में अभी तमाम चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है। वैसे भी गर्मियों में आयुध डिपो में आग लगना कोई नई बात तो नहीं है, मगर सेना के विशेषज्ञों के सामने एक चुनौती ये भी होगी, कि कहीं इसमें किसी आतंकी संगठन का हाथ तो नहीं? अपराध शास्त्र में कहा गया है कि अपराध वहीं होता है जहां हिफाजत से ज्यादा विश्वास होता है। ऐसे में जिस आयुध डिपो को सबसे सुरक्षित माना जा रहा था। उसी में आग लगना कोई साधारण बात नहीं हो सकती है। इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि पाकिस्तान के तमाम आतंकवादी संगठनों की निगाह ही नहीं पैठ भी हमारे ऐसे सुरक्षित ठिकानों में होती रही है। इसके तमाम सुबूत समय-समय पर आते रहे हैं। जब गृहमंत्रालय के अति सुरक्षित माने जाने वाले दफ्तर से अति गोपनीय मानी जाने वाली वायुसेना के विमान खरीदी वाली फाइल सड़क पर आ सकती है। तो इस देश में ऐसी संभावनाओं से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है। पठानकोट एयरबेस के अंदर तक जब आतंकी घुसपैठ कर सकते हैं, तो कहीं हो न हो इसके पीछे भी किसी आतंकी संगठन की साजिश हो सकती है। ऐसे में जांच एजेंसियों को इस एंगल से भी जांच करने की जरूरत होगी। इन विस्फोटों में ऐसे एंगल्स की तलाश भी करनी पड़ेगी। इसके साथ ही साथ सेना के अधिकारियों की ये महती जिम्मेदारी बनती है कि वो ऐसे तमाम संवेदनशील आयुध भंडारों की सुरक्षा को एक बार फिर से जांच कर देखें की कहीं वहां भी तो ऐसी कमजोरियां तो नहीं है कि वहां भी आग लगने की संभावनाएं हैं?
इसके साथ ही साथ हर उस कारण का तत्काल प्रभाव से निवारण भी किया जाए। इससे ऐसी भयावह दुर्घटनाओं से निजात मिल सकेगी।
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