सियासत की चौसर के चक्कर में सर

कटाक्ष-

निखट्टू
संतो... सियासत की सांसत भी अजब चीज है, कम्बख़्त किसी को भी चैन से नहीं रहने देती। ये न तो चैन से सोती है और न औरों को सोने देती है। कहते हैं कि सियासत के गर्भ में संभावनाएं पलती हैं। राज्य की सियासत की चौसर पर एक बार फिर से पांसे बिछे हैं। राज्य सभा के लिए प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी अपने-अपने पांसों को सच्ची-झूठी, पूर्ण-अपूर्ण, अटकी -भटकी योजनाओं की घोषणाओं का तेल पिला रही हैं।  तो वहीं प्रमुख विपक्षी दल के नेता दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। चौसर की बिसात पर दोनों ही पक्ष के दिग्गज अपनी-अपनी जगह पर जमे हैं। ऐसे में हर किसी की कोशिश यही है कि सामने वाले के पांसे को कैसे चारों खाने चित्त कर दें। लगातार घोषणाओं पर घोषणाएं हो रही हैं। तमाम चालें चली जानी शुरू हुई हैं। दांव पर दांव लगाए जा रहे हैं। जनता भी तमाशबीन बनी सारा तमाशा देख रही है। ऐसे में हर गली चौराहों पर कयास लगाने वालों की भीड़ जमी है। लोग अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। हालांकि उनके तर्क से इस चुनाव पर कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है। फिर भी हिंदुस्तान में तर्क देने वालों की एक पूरी जमात है। ये कहीं भी कभी भी तर्क ठेलने से बाज नहीं आते। दूरदर्शन पर पूरे-पूरे दिन चलने वाली बहस-मुबाहिसों के कार्यक्रमों में तो ऐसे तथाकथित तर्कशास्त्रियों की तादाद काफी ज्यादा दिखाई देती है। इनको आपके सुनने और न सुनने से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे तो बस अपना तर्क देते नजर आते हैं। खैर अब इस चौसर के बिछ जाने से सर की भी हालत गड़बड़ है। उनकी भी हालत खराब है, लगातार आंकड़ों को मंत्री को तो कभी विधायकों को उपलब्ध कराना पड़ रहा है। ऐसे में ये भी व्यस्त हैं। दोनों ही बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां अपने-अपने पांसों को तेल पिला-पिला कर मजबूत करने में लगी हैं। फैसला तो अभी भविष्य के पर्दे के पीछे छिपा है मगर कयास लगाने वाले कयास लगाए जा रहे हैं। अब आप भी कयास लगाइए कि छत्तीसगढ़ से कौन-कौन जाएगा राज्य सभा में और हम तो यही कहेंगे कि संतो जागत नींद न कीजै...इसी के साथ कल तक के लिए जय..जय।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव