बोल वचन





आर.पी. सिंह
आम के बौर और महापौर के भरोसा नइं
रविवार की शाम नगर निगम के बगीचा मं बइठ के  चंगू और मंगू चुपचाप चेपटी के डकना खोलिस।  थोड़ सन मूड बनिस त मंगू ले बोलिस भई देख आंधी में आम के बौर और रायपुर के महापौर के कोनो भरोसा नइं ए।  काबर कि आम के बौर पे अगर चार बूंद पानी पड़ गिस तो होगे। अउ महापौर के भी उही हाल हे।  एकर भी चार ठन पार्षद एती ओती होगे तो एहू महापौर नइं रह सकै।  चंगू के गोठ ल सुनके मंगू के माथा ठनकिस... भई तैहा अइसन काबर कहथे? चंगू ठठा के हंस पडि़स.... फेर बोलिस अरे बइहा इ कांगरेस पार्टी हे ना ... एक नंबर के संतरा है बे.... एखर ऊपर तो खोल एकठन हे अउ भीतर के सब फांक अलग-अलग हे। ये हमन के देखावे बर जुड़े हे। भीतर के जनवइया मन बतावत रिहिसे कि कांग्रेस के पार्षदमन आपन महापौर के गोठ ला नइं सुनै। ओखर साथ नइं देवै तेखर बर मेहा ये गोठ ला तोला बताएंव। छोड़ ए सब तोर समझ में नइं आवै तैं चल मोला घर छोड़ दे। बोल के दोनों घर की ओर लडख़ड़ाते निकल पड़े।
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गंदगी की आंधी में गांधी

कांग्रेस जिस महात्मा गांधी का नाम लेकर बड़े- बड़े दावे करती आ रही है।  जिस बापू को अपनी सियासी संपत्ति बता रही है। राजधानी में उसी महात्मा गांधी वार्ड की हालत अगर बापू देख लेते तो आत्महत्या जरूर कर लेते। शहर के कपड़ा बाजार का सारा कचरा और मोहल्ले की गंदगी यहां सड़कों पर बिखरी पड़ी है। बीच बस्ती में भयंकर दुर्गंध उठती है। यही नहीं यहां पर रात को लोग कचरे को आग भी लगा देते हैं। इससे निकलने वालों की हांफते और खांसते-खांसते हालत खराब हो जाती है। पिछले दिनों महापौर ने सफाई अभियान और पर्यावरण बचाने के लिए व्हीकल फ्री डे मनाया था। जमकर साइकिल भी चलाया था। राजधानी की असल सच्चाई ये है कि आज देश के सबसे प्रदूषित 10 शहरों की सूची में रायपुर  शामिल है। आलम ये है कि राजधानी में जरा सी भी तेज हवा चल जाए तो कचरा उड़ कर महापुरुषों की प्रतिमाओं पर लटक जाता है। ऐसे में नगर निगम के मुखिया को ये बात तो कम से कम समझनी चाहिए कि जिस बापू का नाम लेकर ये लोग कसमें खाते हैं कम से कम उनके नाम पर बन वार्ड का तो कुछ ख्याल करें?

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